अयोध्या जाते समय पिता ने कहा था- ‘अपना होगा तो वापस आएगा’, फिर एक नहीं 3 बार की कारसेवा

शिवकुमार जोगी/गुना: 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ उन कारसेवकों का सपना भी पूरा होगा, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में अपनी जान तक की परवाह नहीं की थी. गुना के पठार मोहल्ला के नरेंद्र सिंह कुशवाहा भी ऐसे ही कारसेवक रहे हैं जो एक या दो नहीं, तीन बार अयोध्या में कारसेवा करने गए. हर बार एक उत्साह के साथ आगे बढ़े. हालांकि, परिवार को चिंता रहती थी लेकिन सबको अपने राम पर भरोसा था.

नरेंद्र सिंह कुशवाहा ने बताया कि उन्होंने सन 1989, 1990, 1992 की कारसेवा में योगदान दिया था. 30 अक्टूबर 1990 को हुए आंदोलन के लिए गुना से 22 अक्टूबर को वह राधेश्याम पारीक के मार्गदर्शन में 152 लोगों की टीम के साथ शाम 6:15 बजे निकले थे. 30 अक्टूबर की सुबह 6:00 बजे सब अयोध्या पहुंचे. अयोध्या पहुंचने के बाद 6 लोगों को अलग-अलग टीम के साथ कई किलोमीटर तक पगडंडियों से होकर गुजरना पड़ा था. खाने के लिए सिर्फ गुड़-चना था. अयोध्या में चारो तरफ फोर्स तैनात थी. वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर सभी कारसेवक अपने कार्य में लग गए थे.

पिता ने कही थी बड़ी बात
आगे बताया, शुरू से ही पिता ने रामकाज के लिए प्रेरित किया है. माताजी ने अयोध्या जाने के लिए मना किया था, पर पिताजी ने माताजी से सिर्फ यही कहा, ‘अगर लाल अपना होगा तो वापस आएगा, नहीं तो श्रीराम का कार्य है, आगे श्रीराम जानें’. आज भी मां बताती हैं कि उस समय जब खबर आई थी कि लोगों को गोली लगी थी. बाद में पता चला था कि तीन लोगों में सिर्फ उनका बेटा ही बच पाया था.

अब मनाएं दिवाली
नरेंद्र सिंह कुशवाह ने बताया कि आंदोलन के समय मेरी उम्र 18 वर्ष की थी. आज 54 वर्ष का हो चुका हूं. सन 1984 में हायर सेकेंडरी की परीक्षा पास करने के बाद रामकाज में लग गया. आज सपना साकार हो गया है. अब तो पूरे क्षेत्र में दिवाली मनाएंगे.

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