अभिषेक जायसवाल/वाराणसी : अमेरिका के अलबामा में पहली बार नाइट्रोजन गैस के जरिए एक शख्स को सजा-ए-मौत दी गई है. मृत्यु दंड के इस तरीके पर अब हंगामा मचा है. मानवाधिकार संगठन इसकी आलोचना कर रहे हैं और मृत्यु दंड के इस तरीके को अमानवीय बता रहे है. हालाकिं अलग-अलग देशों में जघन्य अपराधों के लिए मृत्यु दंड का प्रवाधान है. आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि नाइट्रोजन गैस से मृत्यु दंड कितना ख़ौफ़नाक है?
संतुष्टि कॉलेज ऑफ मेडिकल एंड हायर स्टडीज की डायरेक्टर डॉ. रितु गर्ग ने बताया कि जिस खुली हवा में हम लोग सांस लेते है उसमें भी नाइट्रोजन के साथ ऑक्सीजन की मात्रा होती है. सामान्य ताप और दाब पर पृथ्वी के वायुमण्डल का लगभग 78% नाइट्रोजन ही है और उसके बाद ऑक्सीजन पाई जाती है. जिसकी मात्रा 20.95 प्रतिशत है.लेकिन अमेरिका के अलबामा में जिस शख्स को नाइट्रोजन गैस से मृत्यु दंड दिया गया वो 100 प्रतिशत नाइट्रोजन था.
ब्रेन और हार्ट नहीं करते काम
डॉ. रितु गर्ग ने बताया कि नाइट्रोजन मास्क के जरिए जब किसी शख्स को नाइट्रोजन दिया जाता है तो शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है और शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन बिल्कुल भी नहीं पहुंच पाता है. ऐसे में शरीर का ब्रेन, हार्ट और भी दूसरे आर्गन काम करना बंद कर देते है. इससे व्यक्ति कोमा में भी चला जाता है और कभी -कभी इसी समय हार्ट अटैक भी हो जाता है.
कौन है केनेथ स्मिथ?
डॉ. रितु गर्ग ने बताया कि शरीर में ऑक्सीजन की लोगों की मृत्यु होती है.आम तौर पर देखा जाए तो यदि किसी शख्स को नाइट्रोजन मास्क के जरिए नाइट्रोजन दिया जाता है तो चार से 5 मिनट के अंदर ही उसकी मृत्यु हो जाती है. मीडिया रिपोट्स के मुताबिक अमेरिका के अलबामा में केनेथ स्मिथ नाम के जिस शख्स को ये सजा दी गई उसकी मृत्यु 22 वें मिनट में हुई.
कैसे होती है फांसी के बाद मौत?
डॉ रितु गर्ग ने बताया कि वैसे तो जघन्य अपराधों में बात भारत की करें तो यहां फांसी का प्रवाधान है. फांसी से मृत्यु दंड में मौत के लिए 3 से 4 मिनट का ही समय लगता है. फांसी में सर्वाइकल इंजरी के साथ स्पाइनल कॉर्ड पूरी तरह टूट जाती है जिससे शख्स की मौत होती है.
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FIRST PUBLISHED : January 28, 2024, 17:55 IST