अमेरिका में खालिस्तान को लेकर 28 जनवरी को रेफरेंडम: भारत के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे आतंकी; बाइडेन सरकार नहीं ले रही एक्शन

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39 मिनट पहलेलेखक: न्यूयॉर्क से भास्कर के लिए मोहम्मद अली

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सिख फॉर जस्टिस का हेड आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू खालिस्तान रेफरेंडम के पोस्टर के साथ उसके बारे में जानकारी देते हुए। - Dainik Bhaskar

सिख फॉर जस्टिस का हेड आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू खालिस्तान रेफरेंडम के पोस्टर के साथ उसके बारे में जानकारी देते हुए।

अमेरिकी में खालिस्तान के मुद्दे को हवा देने का काम अकेला सिख फॉर जस्टिस (एसजेएफ) ही नहीं कर रहा है। अमेरिका में कई नए संगठन तेजी से सक्रिय हुए हैं। वर्ल्ड सिख पार्लियामेंट (डब्ल्यूएसपी) खालिस्तान समर्थक संगठन हैं जिसने न्यूयॉर्क में अपनी 5वीं आम सभा में अलग पंजाब की मांग को समर्थन की घोषणा की है।

सिख यूथ फॉर अमेरिका भी एक नया संगठन है जो खालिस्तान को समर्थन करता है। इसके 200 से ज्यादा मेंबर हैं।अमेरिका में सिख फॉर जस्टिस (एसजेएफ) का भारत विरोधी अभियान चरम पर है। एसजेएफ ने पंजाब को भारत से अलग देश बनाने के लिए 28 जनवरी को कैलिफोर्निया के सेन फ्रांसिस्को में खालिस्तान रेफरेंडम कराने का ऐलान किया है।

तस्वीर 28 जनवरी को खालिस्तान के लिए होने वाले रेफरेंडम की है।

तस्वीर 28 जनवरी को खालिस्तान के लिए होने वाले रेफरेंडम की है।

28 जनवरी को सैन फ्रांसिस्को में खालिस्तान के लिए रेफरेंडम
भारत के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे खालिस्तानियों को अमेरिका भी नहीं रोक रहा है। अमेरिका के द्वारा भारत पर खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के आरोपों को लेकर पहले ही दोनों देशों के रिश्तों में तनाव है।

इसी बीच, कैलिफोर्निया में हो रहे कथित रेफरेंडम को लेकर दोनों देशों के रिश्ते और बिगड़ सकते हैं। दरअसल, भारत ने 2019 में अलगाववाद का समर्थन करने के लिए सिख फॉर जस्टिस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था। एसजेएफ के प्रवक्ता का कहना है कि 28 जनवरी को सैन फ्रांसिस्को में वोटिंग होनी है।

इससे पहले, लंदन, जिनेवा और स्विडजरलैंड में 2021, इटली में 2022 में, टोरंटो और ब्रेम्पटन में 2022 में व ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न में 2023 में खालिस्तान के लिए रेफरेंडम आयोजित किया गया था।

कैलिफोर्निया के कई गुरुद्वारों पर खालिस्तानियों का नियंत्रण
कैलिफोर्निया में 2.50 लाख से ज्यादा सिख रहते हैं। यहां सेन जोंस गुरुद्वारा, गुरुद्वारा फ्रेमोंट, अल सोब्रेंट, रोसविले और युवा सिटी जैसे कई गुरुद्वारे हैं। गुरुद्वारा फ्रेमोंट सबसे बड़ा है। कई गुरुद्वारों की प्रबंधन समितियों पर खालिस्तानी समर्थकों का कब्जा है।

गुरुद्वारा फ्रेमोंट साहिब पर खालिस्तान के समर्थक सिख फॉर जस्टिस की मदद का आरोप है। एसजेएफ न्यूयॉर्क, लोस एजिलिस, मियामी और वॉशिंगटन के कई गुरुद्वारों के प्रबंधन को भी गुरुद्वारा फ्रेमोंट की तरह हथियाने की कोशिश में लगा हुआ है।

खालिस्तानी समर्थकों की जांच करें अमेरिका:थिंक टैंक
​​​​​​​अ​​​मेरिकी थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट ‘पाकिस्तान डिस्टेबलाइज प्लेबुक: खालिस्तान सेपरेटिस्ट एक्टिविज्म विदिन अमेरिका’ में कहा है कि अमेरिका में कई गुरुद्वारे अब चरमपंथ, उग्रवाद और हिंसा की जन्म स्थली बन गए हैं।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत कई बार खालिस्तानी समर्थकों पर कार्रवाई की मांग कर चुका है। चरमरंथी संगठन पूरी दुनिया के लिए खतरा है इसलिए खालिस्तान से जुड़े संगठनों और उनके समर्थकों की सभी गतिविधियों की जांच होनी चाहिए।

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