केप कैनावेरल (अमेरिका). बीते 50 सालों से भी अधिक समय बाद अमेरिका का स्पेसक्राफ्ट सोमवार तड़के रवाना हो गया है. यह बिलकुल नया रॉकेट है. यूनाइटेड लॉन्च अलायंस का वल्कन सेंटौर, एस्ट्रोबोटिक के पेरेग्रीन लूनर लैंडर को लेकर अपनी पहली यात्रा के लिए फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से सुबह 2:18 बजे (0718 GMT) रवाना हुआ है. इससे पहले चंद्रयान-3 मिशन के साथ भारत ने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर इतिहास रच दिया था और ऐसा करने वाला यह दुनिया का पहला देश बन गया था.
यूनाइटेड लॉन्च अलायंस ने एक्स पर बताया कि ‘यह वल्कन रॉकेट स्टेजिंग, इंग्निशन सफल रहा.’ यूनाइटेड लॉन्च अलायंस के रणनीतिक योजना निदेशक एरिक मोंडा ने लॉन्च को ‘स्पॉट ऑन’ बताया है. उन्होंने नासा के लाइव स्ट्रीम पर कहा, “यह बहुत अच्छा था. मैं लॉन्च देखने के लिए बाहर भागा.” दरअसल यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो पेरेग्रीन लूनर लैंडर 23 फरवरी को चंद्रमा के मध्य-अक्षांश क्षेत्र, जिसे साइनस विस्कोसिटैटिस या स्टिकनेस की खाड़ी कहा जाता है; पर उतरेगा. वहीं, एस्ट्रोबोटिक के सीईओ जॉन थॉर्नटन ने लॉन्च से पहले कहा था कि यह अपोलो के बाद पहली बार अमेरिका को चंद्रमा की सतह पर वापस लाया जाएगा. यह एक महत्वपूर्ण सम्मान है.
चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग में कुछ ही देश हुए हैं सफल
गौरतलब है कि अब तक, चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग केवल कुछ ही राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा ही पूरी की गई है. इसमें सबसे पहले 1966 में सोवियत संघ और उसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ही था, जो अभी भी चंद्रमा पर मानव को भेजने वाला एकमात्र देश है. चीन ने पिछले एक दशक में तीन बार सफलतापूर्वक लैंडिंग की है, जबकि भारत पिछले साल अपने दूसरे प्रयास में यह उपलब्धि हासिल करने वाला सबसे नया देश बना है. अब, संयुक्त राज्य अमेरिका बड़ी मून इकोनॉमी को प्रोत्साहित कर रहा है. अमेरिका अब अपने कर्मिशयल लूनर पेलोड सर्विसेज (सीएलपीएस) कार्यक्रम के तहत आगे बढ़ रहा है.
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भारत समेत कुछ ही देशों के मून मिशन हो पाए हैं सफल
अब तक, पृथ्वी के निकटतम खगोलीय पड़ोसी पर सॉफ्ट लैंडिंग केवल मुट्ठी भर राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा ही पूरी की गई है: सबसे पहले 1966 में सोवियत संघ था, उसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका था, जो अभी भी चंद्रमा पर लोगों को भेजने वाला एकमात्र देश है. चीन ने पिछले एक दशक में तीन बार सफलतापूर्वक लैंडिंग की है, जबकि भारत पिछले साल अपने दूसरे प्रयास में यह उपलब्धि हासिल करने वाला सबसे नया देश था.
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FIRST PUBLISHED : January 8, 2024, 16:06 IST