पटना. 26 वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में भाग लेने पटना पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात रविवार की शाम बिहार प्रदेश भाजपा के नेताओं से हुई. वैसे चर्चा तो प्रदेश कोर ग्रुप की बैठक की थी लेकिन यह भेंट-मुलाकात तक सिमट कर रह गई. दो दर्जन से अधिक लोगों से विचार-विमर्श की संभावना जतायी जा रही थी, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मिले-जुले भी तो 18 से 20 लोगों से ही लेकिन इस छोटी सी मुलाकात में भी अमित शाह जाते-जाते बिहार भाजपा के नेताओं को बड़ी बात समझा गए.
चार बिंदुओं पर जो चर्चा हुई उसका मतलब भी यही रहा कि किसी जाति-जमात का विरोध किए बगैर भाजपा को पहले से तय चुनावी रणनीति पर ही आगे बढ़ना है. बात केवल जनहित की ही होगी और उसका सकारात्मक फल हाल के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव परिणाम की तरह ही बिहार में भी मिलेगा. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपने इस भरोसे का आधार जनता के बीच विराधियों की विश्वसनीयता का कम होना और उनका आपसी मनमुटाव बताते गए हैं. अमित शाह से मिलने वालों में प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के अलावा, विधान मंडल में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा, विधान परिषद में विपक्ष के नेता हरि सहनी और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, मिथिलेश तिवारी समेत प्रदेश महामंत्री रहे.
सूत्रों की मानें तो चर्चा का पहला बिंदु विपक्ष और विश्वसनीयता रहा. अमित शाह ने बारीकी से समझाया कि हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में जाति आधारित गणना प्रभावहीन रह गया. बिहार में हुई गणना में भी यहां के लोगों को गड़बड़ी की आशंका है. यही कारण है कि जनता में विरोधियों की विश्वसनीयता कम हुई है, इसलिए भाजपा को परेशान होने की जरूरत नही है. अमित शाह द्वारा यह समझाया गया कि यह मुद्दा नहीं चलने वाला, साथ ही यादव मतदाताओं से पूरी तरह से निराश नहीं होने की भी बात कही गई. मुसलमानों का वोट भले ही भाजपा को न मिले, लेकिन यादव बिरादरी के कुछ वोट ही सही पर नजर बनाये रखनी होगी.
वोटिंग पैटर्न में यादवों को मुसलमानों के समतुल्य नहीं मानना है. यह दूसरी सीख रही. तीसरी बात यह कि जन-अपेक्षाओं पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले की तरह खरे नहीं उतर पा रहे. नेतृत्व को लेकर विपक्ष में अनबन बढ़ने की भी आशंका है जो निश्चित तौर पर भाजपा के पक्ष में ही जाएगा. नीतीश के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई गई और विधान मंडल की टिप्पणी भी उसी का परिणाम माना गया. चौथी बात यह कि चुनावी तैयारी पहले की तरह जारी रहेगी और अपेक्षा के अनुरूप उसमें समय-समय पर परिर्वतन होता रहेगा.
साथ ही केंद्रीय कार्यक्रम, लोकसभा प्रवास जैसे कार्यक्रमों में तेजी लाने का भी संकल्प लिया गया. चुनावी जीत को कायम रखने की चुनौती प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लगातार तीसरी चुनावी जीत के लिए अमित शाह ने बिहार की जीत को जरूरी बताया है. कई लोकसभा क्षेत्रों में उन्होंने पार्टी नेताओं को खास तौर पर प्रवास का निर्देश भी दिया है.
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FIRST PUBLISHED : December 11, 2023, 09:24 IST