अमावस्या पर स्नान-दान से पितरों को मिलेगी मुक्ति, देवघर के ज्योतिषी से जानें

परमजीत कुमार, देवघर. भाद्रपद महीना भगवान श्री कृष्णा की भक्ति का महीना माना जाता है. इसलिए भाद्रपद में पड़ने वाली अमावस्या का महत्व ज्यादा है. वहीं पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिये या पितरों की आत्म शान्ति के लिए भी अमावस्या का खासा महत्व है. ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि अमवास्या को स्नान, दान और तर्पण के लिए सबसे शुभ दिन माना गया है. मान्यता है कि इस दिन हाथों में कुश लेकर तर्पण करने से कई पीढ़ियों के पितर तृप्त हो जाते हैं.

देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुदगल ने लोकल 18 को बताया कि यदि कुंडली में पितृदोष या कालसर्प दोष हो तो इससे मुक्ति के लिये अमावस्या का दिन सबसे शुभ माना जाता है. अमावस्या के दिन स्नान, दान और पितृ तर्पण किया जाता है. वहीं भाद्रपद का अमावस्या 14 सितम्बर दिन गुरुवार को पड़ रहा है.

इस अमावस्या को पिठोरी या कुशोत्पाटिनी अमवास्या भी कहते हैं. इसमें धार्मिक कार्यों के लिये उपयोग में आने वाले कुश को एकत्रित किया जाता है. जो सालों भर मान्य होता है. वहीं अन्य दिनों में एकत्रित किया जाने वाला कुश सिर्फ उसी दिन मान्य होता है. इस दिन शाम मे पीपल पेड़ के नीचे दीपक जलाये ओर अपने पितरों को स्मरण करे. इसके साथ ही पीपल की परिक्रमा लगाए इससे पितरों की आत्मा की शान्ति मिलती है.

कब से शुरू हो रही है अमवास्या :
भाद्रपद की अमवास्या तिथी की शुरुआत 14 सितम्बर दिन गुरुवार सुबह 05 बजकर 46 मिनट से हो रही है. इसका समापन अगले दिन 15 सितम्बर सुबह 07 बजकर 58 मिनट पर हो रहा है. वहीं, स्नान-दान के लिये शुभ मुहूर्त 05 बजकर 48 मिनट से 7 बजे तक है. इस समय नदी में स्नान कर दान कर सकते है.

Tags: Deoghar news, Dharma Aastha, Jharkhand news, Religion 18

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *