“अब वोट उन्हीं को जो हमारे लिए लड़ेंगे” : समलैंगिक शादी पर SC के फैसले पर LGBTQ समुदाय

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को समलैंगिक समुदाय के अधिकारों को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया.आज के फ़ैसले में जीत भले ही ना मिली हो लेकिन समलैंगिक समुदाय मानता है कि समलैंगिक जोड़ों के लिए भारत बेहतर जगह बन गई है. सामाजिक सोच बदली है पर समलैंगिक विवाह को क़ानूनी मान्यता संसद ही दिला सकती है न्यायपालिका नहीं. ऐसे में अब आगे की लड़ाई सियासी मोड़ भी लेगी. LGBTQ समुदाय कह रहा है कि 17% इनकी जनसंख्या अब उन्हीं को वोट करेगी जो नेता इनके हक़ की लड़ाई लड़े. 

यह भी पढ़ें

समलैंगिक जोड़े ने क्या कहा?

एनडीटीवी से बात करते हुए 11 सालों से लिव-इन रिश्ते में रह रहे समलैंगिक जोड़े इंदर वाहत्वर और आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि इश्क़ के हक़ की लड़ाई के कई पड़ाव पार किए पर विवाह को क़ानूनी मान्यता ना मिलना इनके लिए झटका तो है पर उम्मीदें बंधी हैं. समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिलने की लड़ाई में याचिकाकर्ता हरीश अय्यर ने कहा कि न शादी की इजाजत, न बच्चा गोद लेने का हक. अब वोट उसी को देंगे जो उनके हक़ के लिए लड़े. हरीश की माँ भी साथ खड़ी रहीं.

“सरकार से गुज़रने वाला ये रास्ता जटिलताओं से भरा होगा”

अपने समलैंगिक बच्चे के हक़ के लिए लड़ाई लड़ रहीं विद्या फ़ड़नीस ने कहा कि कोर्ट ने रास्ता तो दिखाया है, पर सरकार से गुज़रने वाला ये रास्ता जटिलताओं से भरा होगा. मानसिक लड़ाई के साथ साथ शिवाली छेत्री कई शारीरिक बदलावों से गुजरीं, ख़ुद के लिए फ़ैसले से खुश हैं लेकिन दुखी भी.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को समिति बनाने का निर्देश दिया है, जो समलैंगिक जोड़ों को परिवार के रूप में शामिल करने, संयुक्त बैंक खातों के लिए नामांकन, पेंशन आदि अधिकारों पर काम करेगी. समुदाय की सबसे पहली माँग है कि समिति में इनके समुदाय से प्रतिनिधि भी होने चाहिए जो इनकी आवाज़ आगे पहुँचा सके. 

ये भी पढ़ें- 

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *