अब मिथिला पेंटिग से लोग जानेंगे माता सीता की पूरी जीवनी!

कुंदन कुमार/गया: विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 28 सितंबर से शुरू हो रहा है, और इसकी तैयारी जिला प्रशासन ने स्तर से पूरी की गई है. पितृपक्ष मेला को ध्यान में रखते हुए भगवान विष्णु की नगरी गयाजी स्थित सीता कुंड में इन दिनों मिथिला पेंटिंग के माध्यम से माता सीता का चित्रण किया जा रहा है. गया की मुख्य पिंडवेदियों में से एक सीता कुंड है, और यहां मिथिला पेंटिंग के माध्यम से माता सीता के जीवन की पूरी कहानी, जन्म से लेकर धरती में समाहित होने तक, दर्शाई जा रही है.

800 मीटर में यह मिथला पेंटिंग बन रही
दरभंगा से आए सृजन मिथिला के कलाकार भारत की सबसे लंबी मिथिला पेंटिंग बना रहे हैं. सीता पथ पर कुल 800 मीटर क्षेत्र में यह मिथला पेंटिंग बन रही है, जिसे 27 सितंबर तक पूर्ण कर लिया जाएगा. इस पेंटिंग को तैयार करने के लिए कुल 40 कलाकार जुटे हैं. मां सीता के संबंध में पेंटिंग के माध्यम से जीवनी को दिखाने का कार्य किया गया है. मां सीता कैसे तर्पण करने गयाजी सीता कुंड आईं थीं, और सभी चीजें पेंटिंग के माध्यम से दर्शाई गई हैं. इसके लिए प्रत्येक पेंटिंग के साथ-साथ चित्र के ऊपर वर्णन भी किया गया है.

धरती में समाहित होने तक की पूरी कहानी
इसी वर्ष सीता कुंड से सीता सेतु तक सीता पथ का निर्माण किया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसी महीने इस पथ का उद्घाटन भी किया है. देश विदेश से आने वाले लोग मिथिला पेंटिंग को देखकर आकर्षित हो रहे हैं और माता सीता के जीवन का चित्रण पेंटिंग के माध्यम से दर्शाया जा रहा है. लोग इसे देखने के लिए प्रतिदिन विशेष आगंतुकों के रूप में सीता पथ पर आ रहे हैं, और उन्हें माता सीता के जीवन के विविध पहलुओं का अनुभव करने का अवसर मिल रहा है.

टीम ने मां सीता के जीवन को बहुत अच्छे से दर्शाया
सृजन मिथिला पेंटिंग के डायरेक्टर राजेश कुमार चौधरी बताते हैं कि गया में सीता कुंड से सीता सेतु तक माता सीता के चरित्रों का चित्रण करने का मौका मिला है. यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है. हमारी टीम ने मां सीता के जीवन को बहुत अच्छे से दर्शाया है, और इसे यहां आने वाले सैलानियों के साथ-साथ प्रशासन ने भी सराहा है. प्रशासन इसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करने का प्रयास कर रहा है. इतनी बड़ी लंबाई और चौड़ाई वाले एरिया में किसी भी देवी-देवता या अन्य किसी की मैथिली पेंटिंग कहीं नहीं बनी है. इस पेंटिंग को बनाने में 40 कलाकार दिन-रात जुटे हुए हैं, और पिछले 23 दिन से इस पर काम चल रहा है. एक दो दिनों में यह पेंटिंग पूरी तरह से तैयार हो जाएगी.

पेंटिंग में माता सीता के इन चित्रों को दर्शाया गया है
राजा जनक द्वारा यज्ञ अनुष्ठान, हल जोतना, और पौंड्रक ऋषि द्वारा जानकी माता को सौंपना, सीता माता का जन्मोत्सव छठ्ठी पूजन, राजा जनक और माता सुनैना के साथ जानकी माता का पालन-पोषण, विदुषी गार्गी द्वारा व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करना, सीता माता के खेलने और गुरु से विद्या प्राप्त करना, और गया के विष्णुपद मंदार पहुंचना – ये सभी सीता माता के जीवन के महत्वपूर्ण पहलू हैं. इस पूरी कथा के माध्यम से हम उनके जीवन के विभिन्न पहलू और महत्व को समझ सकते हैं, जो हमारे समाज और संस्कृति में महत्वपूर्ण हैं. यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है.

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