अब बिहार में IVF तकनीक से गाय देगी बच्चे को जन्म… किसानों का इतना होगा खर्चा

नीरज कुमार/बेगूसराय. पशुपालन क्षेत्र में किसानों को प्रगति का द्वार खोलने का काम हो रहा है. गाय के बच्चों का जन्म ना होना, जो पशुपालन में एक बड़ा कारण था, इस समस्या का समाधान करने में मदद कर रहा है. इस से किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हो रहा था, लेकिन अब नए तकनीकी उत्पादों के प्रयोग से उन्हें इस समस्या से निजात मिल रही है.

आपने सुना होगा कि किसी महिला का एग और किसी पुरुष का स्पर्म लेकर परखनली में भ्रूण फर्टाइल किया जाता है, और फिर उसे किसी महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है, जिसे हम सरोगेसी कहते हैं. इस तकनीक का अब गायों में भी उपयोग हो रहा है, और यह बिहार में भी आचरण किया जा रहा है. आइए जानते हैं कि IVF तकनीक से किसानों को कैसे फायदा हो सकता है.

IVF तकनीक से गाय देगी बच्चों को जन्म
देश रतन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद दूध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड बरौनी डेयरी एक शासन के द्वारा संचालित संस्थान है जो किसानों के लिए काम करता है. यह संस्थान देश के विभिन्न हिस्सों में “कंफेड” या “सुधा” के नाम से प्रसिद्ध है और पशुपालकों के लिए विभिन्न प्रयोग करता है. इस संस्थान ने पशुओं में सरोगेसी तकनीक को उच्चारित किया है और इस बारे में पशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गोपाल मिश्रा ने लोकल 18 से एक्सक्लूसिव जानकारी साझा की है. भारत सरकार के “Accelerated Breed Improvement Program” के तहत, बिहार में पशुपालकों को आईवीएफ तकनीक से बछिया प्राप्त करने के लिए सीमेन प्रदान किया जाएगा. इस तकनीक से प्राप्त बछिया को “परखनली बछिया” कहा जा सकता है.

बेगूसराय में 6 हज़ार अन्य जिलों में 11 हज़ार होगी क़ीमत
आईवीएफ तकनीक का फायदा बिहार के पशुपालक किसानों को मिलेगा, चाहे वह सरकारी संगठन में दूध दे रहे हों या निजी संस्थानों में. पशु विशेषज्ञ के मुताबिक, कृत्रिम गर्भाधान कर्मचारी अपने इलाके में इस तकनीक को उपलब्ध कराएंगे. इसके लिए बेगूसराय जिले में पशुपालकों को 6000 रुपए की कीमत देनी होगी, जबकि खगड़िया, मुंगेर, पटना, आदि जिलों में 11000 की धनराशि पशुपालक किसानों को देनी होगी.

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