अब जी-20 को लेकर बनाई पीतल के पन्नों की बुकलेट 

राहुल दवे/इंदौर. इंदौर के मल्हारगंज निवासी लोकेश मंगल ने 94 पेजों की चार फीट लम्बी और 57 किलो वजनी पीतल की किताब में संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों के संविधान का कुछ न कुछ हिस्सा उकेरा था. लेकिन, एक बार फिर अभी हाल ही में हुए जी-20 समिट की घोषणाओं को पीतल पर इनकी ओर से उकेरा गया है. इन घोषणाओं को उकरने के लिए पीतल की 20 पन्नों (40 पेज) की बुकलेट तैयार की है. यह बुकलेट अब जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाई जाएगी.

1100 ग्राम है वजन
पेशे से वकील लोकेश ने बताया कि यह बुकलेट इंदौर में ही तैयार की गई है. 20 पेज की इस किताब का वजन 1100 ग्राम है. बुकलेट का प्रथम और अंतिम पेज कटर से काट कर तैयार किया गया है. हर पेज पर लेजर के माध्यम से प्रिंट किया गया है. इसमें प्रिंट किए गए सभी पेज हिन्दी भाषा में हैं.

सिर्फ 850 रुपए में तैयार हुई बुकलेट
लोकेश के मुताबिक जी-20 को लेकर तैयार की गई इस बुकलेट को तैयार करने में 850 रुपए की लागत आई है. किताब को तीन घंटे में प्रिंट किया गया, जबकि इसको पूरी तैयार से करने में आठ घंटे लगे. लोकेश का मानना है कि कागज एक समय बाद खराब हो जाता है, इसलिए मेटल पर ही बुकलेट बनाना शुरू किया गया है. पीतल को शुद्ध धातु माना जाता है, इसलिए उन्होंने इसी का इस्तेमाल कर बुकलेट तैयार की.

इसलिए बनाई जी-20 पर
लोकेश ने बताया कि बुकलेट बनाने का उद्देश्य यह है कि पीएम नरेंद्र मोदी सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि उनकी अगुआई में भारत जी-20 समिट हुई. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के इस गौरव को उन्होंने अपनी भावनाएं प्रकट करने के लिए बुकलेट तैयार करवाई.

पहले ही तय कर लिया था
भारत की उदार भावना ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ से समझी जा सकती है. पीएम मोदी की अध्यक्षता में विश्व कल्याण के लिए जो कदम उठाए गए, उससे कई नई दिशा मिलेगी. इन्हीं भावनाओं को देखते हुए लोकेश ने 9 सितम्बर जी-20 डिक्लेरेशन डे के दिन बुकलेट तैयार करना तय कर लिया था.

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