अब क्या करेगी पाकिस्तानी सेना? इमरान खान से हार मानेगी! या 1971 की कहानी …

हाइलाइट्स

पाकिस्तान में चुनाव के नतीजों में देरी हो रही है.
शुरुआती रूझानों में इमरान खान की पार्टी के निर्दलीय उम्मीदवारों को बड़ी बढ़त.
इस बार इमरान खान ने जेल में रहकर सेना को औकात दिखाने का काम किया.

इस्लामाबाद. पाकिस्तान में आम चुनाव (Pakistan Election Result) के खत्म होने के बाद से मतगणना को शुरू हुए करीब 20 घंटे का वक्त बीत चुका है. शुरुआती रूझानों में इमरान खान (Imran Khan) की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के निर्दलीय के रूप में चुनाव में उतरे उम्मीदवारों को एक बड़ी बढ़त मिलती दिख रही है. इसके बावजूद पाकिस्तान में सेना के समर्थन के बिना किसी का सत्ता में आना नामुमकिन ही रहा है. अगर कोई चुनाव में जीत भी गया तो सेना ने उसे ज्यादा देर तक टिकने नहीं दिया है. चुनावों में धांधली करवाने के आरोप सेना पर पहले भी लगते रहे हैं. मगर इस बार इमरान खान ने जेल में रहकर सेना को औकात दिखाने का काम किया है.

पाकिस्तान चुनाव आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक शाम 4 बजे तक नेशनल असेंबली के नतीजे इमरान खान के पक्ष में जाते दिख रहे हैं. उनके समर्थक निर्दलीय 55 जगहों पर जीते हैं, जबकि पीएमएल-एन को 43, पीपीपी को 35, पीएमएल को 1, एमक्यूएम-पी को 4 और जेयूआई-पी को 1 सीट मिली है. कई लोगों ने सेना पर चुनाव में धांधली के लिए नतीजों में देरी करने का आरोप लगाया है. जेल की कोठरी से चुनाव देख इमरान खान को चुनाव से पहले ही बाहर करने की साजिश अब बेअसर होती दिख रही है.

पाकिस्तान में 1970 का चुनाव बना बंटवारे का कारण
इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के नेता गुप्त बैठकें कर रहे हैं. क्योंकि उन्हें चौंकाने वाले नतीजे की उम्मीद है. कई उम्मीदवारों ने पाकिस्तान चुनाव में बड़ी संख्या में धांधली के आरोप लगाए हैं और अब कोर्ट में जाने का दावा किया है. पाकिस्तान में ठीक उसी तरह के हालात पैदा होते दिख रहे हैं, जैसा कि 1970 के चुनाव के समय देखे गए थे. नेशनल असेंबली के सदस्यों के चुनाव के लिए 7 दिसंबर 1970 को पाकिस्तान में आम चुनाव हुए. उस वक्त 300 सामान्य सीटों के लिए मतदान हुआ था. जिनमें से 162 पूर्वी पाकिस्तान में और 138 पश्चिमी पाकिस्तान में थीं. तेरह सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गईं थी. जिनमें से सात पूर्वी पाकिस्तान में और छह पश्चिमी पाकिस्तान में थीं, जिन्हें नेशनल असेंबली के सदस्यों द्वारा चुना जाना था.

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अब क्या करेगी पाकिस्तान की सेना? इमरान खान से हार मानेगी! या 1971 के शेख मुजीब की कहानी …

सेना की तानाशाही से बंटा पाकिस्तान
इस चुनाव में शेख मुजीबुर्रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) की अवामी लीग की जीत हुई थी. जिसने 162 सामान्य सीटों में से 160 और पूर्वी पाकिस्तान की सभी सात महिला सीटों पर जीत हासिल करके पूर्ण बहुमत हासिल किया. पीपीपी ने केवल 81 सामान्य सीटें और पांच महिला सीटें जीतीं और वो सभी पश्चिमी पाकिस्तान में ही हासिल हुईं थी. मगर शेख मुजीब को प्रधानमंत्री पद की शपथ नहीं दिलाई गई. क्योंकि सैनिक तानाशाह और राष्ट्रपति याह्या खान और पीपीपी अध्यक्ष जुल्फिकार अली भुट्टो बांग्लादेश के शेख मुजीब को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं देखना चाहते थे. इसके कारण पूर्वी पाकिस्तान में पहले गृहयुद्ध हुआ और फिर पाकिस्तान का बंटवारा हो गया.

Tags: Army, Imran khan, Imran Khan Arrest, Pakistan Election

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