अब कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने बंद, गांव में ही सुलझेंगे पुश्तैनी जमीन के मामले

अंकित कुमार सिंह/सीवान : पुश्तैनी जमीन और जाल में बहुत उलझन होते हैं. बिहार में यह वर्षों पुरानी कहावत है. लेकिन, बिहार सरकार ने इस जाल को आपसी सहमति से सुलझाने की प्रकिया शुरू की है. राज्य सरकार की ओर की जा रही इस कोशिश की चर्चा अब पूरे प्रदेश में हो रही है. हालांकि नया नियम काफी परेशानी खड़ा करने वाला है. क्योंकि आपसी बंटवारे में एक दो नहीं बल्कि 8 प्रकार के दस्तावेज लगने वाले हैं, जिसको सोचकर ही रैयत चिंता में पड़े हुए हैं कि आखिरी कौन-कौन से दस्तावेज लगेंगे और कहां से बनेंगे. तो यहां जानें इससे जुड़ी सभी जानकारी.

पंचायतों में कैंप लगाकर मामला सुलझाने का प्रयास
22 फरवरी से लागू नए नियम व प्रक्रिया के तहत भूमि विवाद के मामले को सुलझाने के लिए सरकार ने सबसे अहम भूमिका आपसी बंटवारा को दे रही है. सरकार के निर्देश पर इसके लिए प्रखंड से लेकर अंचल तक में प्रयास हो रहे हैं. अधिकारी कैंप कर इसका निराकरण निकालने के प्रयास कर रहे हैं.

उच्च न्यायालय के द्वारा दिए गए आदेश के आलोक में सरकार ने एक नया गाइडलाइन भी जारी किया है, जिसके तहद जिले के प्रखंड कार्यालय में तीन दिन विशेष रुप से भूमि सुधार से जुड़े कार्य हो रहे हैं. जो परिवार संपत्ति का बंटवारा करवाना चाहते हैं, उनको यहां पूरी मदद की जा रही है.

बंटवारे से पहले इन आठ कागजातों की पड़ रही है जरूरत
सीवान जिले के 19 प्रखंडों के राजस्व हल्का में धीरे-धीरे कैम्प लगाकर कार्य शुरू किए जा रहे हैं, जिसकी दायित्व राजस्व कर्मचारियों को सौंपा गया है. यहीं फरीकदारों से सभी दस्तावेज लेकर पूर्वजो की जमाबंदी को वर्तमान में जीवित वंशजों के नाम से नामांतरण करने की कार्रवाई कर रहे हैं.

राजस्व कर्मचारी सौरभ कुमार ने बताया कि इसमें कुल 8 दस्तावेज लगान रसीद, भूमि से संबंधित दस्तावेज (केवाला, खतियान आदि), वंशावली, जमाबंदी रैयत का मृत्यु प्रमाण पत्र, 100 रुपए के स्टांप पर बंटवारा शेड्यूल, आधार कार्ड, सभी हिस्सेदारों (फरीकदारों)की सहमति पत्र, और एसडीओ कार्यालय से जारी शपथ-पत्र शामिल है. इन सभी दास्तवेज होने के बाद ही नामांतरण की प्रक्रिया हो सकेगी.

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