अब कोरबा के श्मशान घाट में बिना किसी परेशानी के हो पाएगा दाह संस्कार, जानें ऐसा क्या बदलाव आया यहां

अनूप पासवान/कोरबा. मुक्तिधाम कई समस्याओं से मुक्त हो गया है. कोरबा शहर के कुछ युवाओ ने पोड़ी बाहर स्थित मुक्तिधाम की पूरी दशा ही बदल दी. एक समय जहां दाह संस्कार करने पहुंचने वाले लोग बैठना तक मुनासिब नहीं समझते थे. जहां-तहां गंदगी पसरी रहती थी. वही आज हरियाली छाई हुई है. मुक्तिधाम एक गार्डन का रूप ले चुका है. साथ ही युवाओं ने दाह संस्कार के लिए समुचित व्यवस्था करते हुए उचित दाम पर मुक्तिधाम में ही लकड़ी और गोबर के बने कंडे की भी व्यवस्था की है.

1 अगस्त को नगर के एक प्रतिष्ठित व्यवसाई की माता का निधन हो गया था, जिनका दाह संस्कार करने लोग पोड़ी बाहर स्थित मुक्तिधाम पहुंचे. मुक्तिधाम की दुर्दशा को देखकर कुछ युवाओं ने बदहाल पड़े मुक्तिधाम की दशा सुधारने का बीड़ा उठाया. सभी ने मिल जुलकर आर्थिक सहयोग के साथ श्रमदान किया. युवाओं ने पोड़ीबाहर मुक्तिधाम सेवा समिति के नाम से एक समिति का गठन किया और निहारिका क्षेत्र के व्यापारियों के सहयोग की बात कही. देखते-देखते इस सेवा कार्य के लिए लगभग शहर के 50 लोग सामने आए.

आकर्षित कर रहा है मुक्तिधाम
ऐसे में एक वर्ष पहले जिस मुक्तिधाम में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी और ना जहां यूरिनल की व्यवस्था थी. युवाओं के प्रयासों से आज उचित व्यवस्था कराई गई है. कई सुंदर पौधे मुक्तिधाम में लगे हुए हैं, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.

शोकाकुल परिवार के लिए उचित व्यवस्था
सेवा समिति ने लोगों के लिए दाह संस्कार के लिए भी उचित व्यवस्था की है. जहां मुक्तिधाम में ही लोगों को गोबर के कंडे और लकड़ी मिल जाती है. सेवा समिति ने प्रयास किया कि शोकाकुल परिवार को परेशान ना होना पड़े, जिसको देखते हुए 3100 में लकड़ी और 2500 में गोबर के कंडे दाह संस्कार के लिए उपलब्ध करवा रहे हैं. समिति के सदस्य दिव्यानंद अग्रवाल, सुनील जैन, राजेश बंसवालिया, पिंटू अग्रवाल, संतोष सिंह, जयंत अग्रवाल मुक्तिधाम के व्यवस्था प्रभारी है. इनकी देख-रेख में ही कार्य करवाए जा रहे हैं.

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