अब कहां वो जमाना…! जब टिकट के लिए लड़ते थे लोग, फिल्म के लिए भूल जाते थे….

आकाश कुमार/जमशेदपुर. इन दिनों मनोरंजन के कई सारे साधन हो गए हैं. सभी के घर में टीवी लग गई है और कई घर तो ऐसे हैं जहां हर कमरों में भी अलग-अलग टीवी लग चुके हैं. ताकि लोग अपनी पसंद की फिल्म देख सकें और सबसे बड़ी बात आज के समय में सभी के हाथ में मोबाइल है. जिससे सभी लोग अपने आप को व्यस्त रखते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज से करीब 40- 50 साल पहले लोगों के पास मनोरंजन के क्या साधन थे. यदि नहीं तो जानिए कि चंद्रदीप प्रसाद और उनके दोस्तों ने क्या बताया है.

लोकल 18 से बात करते हुए चंद्रदीप प्रसाद और उनके दोस्तों ने बताया कि जब वह अपने जवानी के दिनों में हुआ करते थे तो उन दिनों गांव घर में रेडियो और टेप रिकॉर्डर हुआ करता था. वह भी सभी के पास नहीं बल्कि, गांव में मात्र दो या तीन होते थे. उसी को लेकर सभी लोग शांति से बैठकर गाना सुना करते थे. उसके बाद फिल्म हॉल का चलन शुरू हुआ. जिसे देखने के लिए हजारों की भीड़ लगती थी और टिकट लेने के लिए लोग एक दूसरे के ऊपर चढ़कर खरीदा करते थे.

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टिकट खिड़की पर लगी रहती थी लंबी लाइन
चंद्रदीप ने बताया कि फिल्म हॉल का ऐसा क्रेज था कि लोग पूरे दिन बिना खाये पीए लाइन में टिकट के लिए खड़े रहते थे और कई बार तो टिकट ब्लैक भी हुआ करता था. जिसके कारण मारपीट भी होती थी. लोग राज किशोर, दिलीप कुमार और वैजयंती माला को देखने के लिए काफी ज्यादा चाहत करते थे. क्योंकि उन दिनों वह लोगों के पसंदीदा किरदार हुआ करते थे.

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