भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद यानी एआईसीटीई अब क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग व डिप्लोमा इंजीनियरिंग आदि की तकनीकी शिक्षा उपलब्ध करवाएगा.
छात्र क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा हासिल कर सकेंगे. (Photo Credit: न्यूज नेशन)
highlights
- हिंदी, तमिल, तेलुगू, बंगाली, मराठी, पंजाबी, गुजराती और कन्नड़ में होगी पढ़ाई
- स्तकों के अनुवाद के लिए एआईसीटीई और आईओएसआर के बीच समझौता
नई दिल्ली:
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद यानी एआईसीटीई अब क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग व डिप्लोमा इंजीनियरिंग आदि की तकनीकी शिक्षा उपलब्ध करवाएगा. छात्र क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा हासिल कर सकेंगे. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में इसको लेकर एक समझौता किया गया. यह समझौता एआईसीटीई और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ओड़िया स्टडीज एंड रिसर्च (आईओएसआर) के बीच हुआ है. शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक छात्रों की सुविधा के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी पाठ्यक्रम को अपनाने और सीखने के लिए एआईसीटीई ने पहले वर्ष के स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए क्षेत्रीय भाषा यानी हिंदी, तमिल, तेलुगू, बंगाली और मराठी 5 क्षेत्रीय भाषाओं में किताबें तैयार कर ली हैं. इसी प्रकार डिप्लोमा छात्रों के लिए आठ क्षेत्रीय भाषाओं में प्रथम वर्ष की पुस्तकें भी तैयार की गई हैं. यह 8 भाषाएं हिंदी, तमिल, तेलुगू, बंगाली, मराठी, पंजाबी, गुजराती और कन्नड़ हैं.
अनुवादक के प्रति पुस्तक एक लाख रुपये का भुगतान
वर्तमान समझौता अंग्रेजी की मूल पुस्तकों के ओडिया संस्करण की समीक्षा में मदद करेगा. इसका खर्च एआईसीटीई द्वारा वहन किया जाएगा. अनुवादक को 100000 रुपये प्रति पुस्तक मानदेय दिया जाएगा. उड़िया भाषा समीक्षकों को प्रति पुस्तक 40000 रुपये का मानदेय दिया जाएगा. यदि एक से अधिक अनुवादक या समीक्षक की सेवाएं शामिल हैं, तो राशि को उनके बीच आनुपातिक रूप से विभाजित किया जाएगा. इसके अतिरिक्त एआईसीटीई आईओएसआर के मनोनीत प्रतिनिधि को प्रतिवर्ष 50000 रुपये का मानदेय भी दिया जाएगा.
उड़िया भाषा पर दो सालों का अनुबंध
उड़िया संस्करण की स्वीकृति पर आईओएसआर से अंतिम अनुमोदन के बाद एआईसीटीई ओडिया संस्करण में पुस्तकों का प्रकाशन भी करेगा. अनुवाद को प्रासंगिक बनाने के लिए आईओएसआर पांच विषयों अर्थात मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, सिविल, इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग के लिए तकनीकी पुस्तकों में उपयोग किए गए विशिष्ट तकनीकी वैज्ञानिक शब्दों के लिए उड़िया में उपयुक्त शब्द कोष प्रदान करने का कार्य करेगा. यह समझौता अधिकतम 2 वर्षों के लिए प्रभावी होगा.
अधिक तेजी से सीख सकेंगे वैज्ञानिक अवधारणाएं
इस अवसर पर एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल डी सहस्त्रबुद्धे ने कहा, अपनी मातृभाषा में सीखना स्वाभाविक रूप से बहुत सरल और अधिक प्रभावी है. यह एक छात्र को विशेष रूप से ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्र को तकनीकी कौशल बेहतर करने की क्षमता को बढ़ाता है. यह नवाचारों को भी बल देगा और बढ़ाएगा. एआईसीटीई ने 20 संस्थानों को अतिरिक्त सीटें लेकर क्षेत्रीय भाषा में तकनीकी कार्यक्रम चलाने की अनुमति दे दी है. इस संदर्भ में उड़िया भाषा में पुस्तकों के अनुवाद के लिए एआईसीटीई और आईओएसआर के बीच वर्तमान समझौता उड़ीसा राज्य के सभी छात्रों के लिए सहायक होगा.
बच्चों को सहज और सक्षम बनाएगी उनकी अपनी भाषा
वहीं शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, छोटे बच्चे अपनी घरेलू भाषा या मातृभाषा में अधिक तेजी से सीखते और समझते हैं. भारतीय भाषाएं प्राचीन ज्ञान का भंडार है जो अनुसंधान और नवाचार के लिए एक बड़ा दायरा प्रदान करती है. विशेष रूप से ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों में अपार संभावनाएं हैं और क्षेत्रीय भाषा की किताबें उन्हें तकनीकी ज्ञान हासिल करने में मदद करेगी. यह ऐसे छात्रों को अपनी शिक्षा को बेहतर रूप से लागू करने में सक्षम बनाएगा और उन्हें रोजगार योग्य बनाने और समाज के लिए मददगार बनने में मदद करेगा. इसलिए इसमें आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को भी पूरा करने की क्षमता है. मैं इस समझौते को क्रियान्वित करने के लिए एआईसीटीई और आईओएसआर को बधाई देता हूं.
First Published : 19 Oct 2021, 08:29:57 AM