अफीम के इलाके में लहलाहा रहा है गन्ना! ऐसे हुआ यहां बड़ा बदलाव 

कुंदन कुमार/गया : गया के जिस इलाके में कभी लाल आतंक का साया था. यहां बड़े पैमाने पर अफीम की खेती होती थी. आज वहां के किसानों के द्वारा पिछले 2 साल से बडे स्तर पर गन्ना की खेती की जा रही है. जिले के इमामगंज प्रखंड के सुहैल गांव में 25 किसानों ने एक समूह का गठन कर अपनी परंपरागत खेती को छोड़कर 50 एकड़ में गन्ने की खेती शुरू की है. इससे पहले सुविधा के अभाव में कुर्थी, अरहर की खेती होती थी. वहां आज गन्ने के पौधे लहलहा रहे हैं.

इस इलाके के अधिकांश गांव चारों तरफ से जंगल और पहाड से घिरा हुआ हैं. खेतों में पत्थर झाड़ियों का अंबार लगा रहता था, लेकिन इन खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए विराज, सुहैल, नावा, भौरहा, भोक्ताडिह, मंझौली गांव के किसान एक समूह बनाकर गन्ने की खेती कर रहें है.

लीज पर जमीन लेकर 50 एकड़ में हो रही है खेती

किसान विजय कुमार बताते हैं कि एक जगह पर अपना जमीन नहीं रहने के कारण हमलोग गांव के किसानों से लीज पर जमीन लेकर 50 एकड़ में खेती कर रहे हैं. गन्ने की फसल जनवरी माह में पूरी तरह से तैयार हो जायेगा. उसके बाद गुड बनाने की प्रकिया शुरु की जाएगी.

हालांकि किसानों का मानना है कि अगर यहां सरकार के द्वारा एक गुड उद्योग स्थापित कर दिया जाए. तो और भी बड़े स्तर पर इसकी खेती की जाएगी और यहां के किसानों की आय बढेगी. किसानों ने सामूहिक रूप से सीओजे 185 नामक गन्ने की खेती शुरू किया है. इस गन्ने से जूस अधिक निकलता है और इसके गुड की क्वालिटी भी अच्छी होती है.

पिछले दो वर्षों से गन्ने की खेती ने पकड़ी रफ्तार

बता दें कि आज से 15-20 साल पहले इस इलाके में छोटे स्तर पर गाना की खेती की जाती थी, लेकिन उन दिनों उतना ज्यादा मुनाफा नहीं हो पता था. लेकिन गन्ना विकास विभाग के द्वारा किसानों को आश्वासन मिलने के बाद पिछले दो वर्षों से एक बार फिर बड़े स्तर पर गन्ना की खेती शुरू कर दी. पिछले साल जहां 20 एकड़ में गन्ना की खेती की गई थी. वहीं इस बार 50 एकड़ में गन्ना लगाया गया है. पिछले साल किसानों को ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ था, लेकिन इस बार उम्मीद है कि उन्हें इसकी खेती से अच्छी आय होगी. किसानों ने बताया कि एक एकड़ में लगभग 1 लाख रुपए की लागत आती है.

किसानों को किया जा रहा है जागरूक

यहां के किसानों के द्वारा बताया गया कि पिछले वर्ष तक यहां दूसरे राज्य से आकर अफीम कारोबारी अफीम की खेती करवाते थे, लेकिन अब यहां के किसान जागरूक हो रहे हैं. जिसमें स्थानीय थाना सुहैल और एसएसबी के जवानों का भी खूब सहयोग रहा है. जिनके कारण अब यहां के किसान कैश क्रॉप्स की खेती से जुड़ रहे हैं. स्थानीय थाना पुलिस और एसएसबी के जवानों के द्वारा गांव के किसानों को अफीम की खेती नहीं करने के लिए जागरूक किया जा रहा है.

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