अपराधियों के लिए कुख्यात था यूपी यह जिला, अब कैदी कर रहे गीता का पाठ! जानें कैसे हुआ बदलाव

रजत भटृ/गोरखपुर : गोरखपुर के जेल में बंद कैदी इन दिनों अनोखा ही काम करते नजर आ रहे हैं. इससे पहले भी जेल में कई बार कैदियों को कई तरह के काम करते देखा गया है. लेकिन वही इस बार कैदी जेल के अंदर एक ऐसा काम कर रहे हैं. जिसे देखकर हर कोई हैरान है. अपराधियों के लिए कुख्यात गोरखपुर भी अब तेजी से बदल रहा है. गोरखपुर जेल में बंद कैदियों को श्रीमद्भागवत गीता पसंद आने लगी है. गीता के उपदेश याद आने लगे हैं. आचरण में सुधार के लिए जेल में बंद 450 कैदी श्रीमद्भागवत गीता पढ़ रहे हैं, जबकि अन्य बंदियों ने भी जेल प्रशासन से धार्मिक पुस्तकों की डिमांड की है.

गोरखपुर जेल में लगभग 1967 कैदी है. जिसमें अंडर ट्रायल कैदियों की संख्या1597 है. बताया जा रहा है कि कई कैदियों ने अपने आचरण में सुधार का संकल्प लिया है. यहां तक कई कैदियों ने संकलप लिया है कि अगर इस बार वह जेल से बाहर गए तो अपराध छोड़ देंगे. उन्होंने गीता के उपदेशों से प्रभावित होकर यह संकल्प लिया है. कैदियों पर भक्ति इस कदर छाई हुई है की जुबान पर संस्कृत का श्लोक है तो जेल के दीवारों पर भगवान भोले की तस्वीर लगी हुई दिख रही है, टीवी पर भी हर वक्त सत्संग और प्रवचन ही चलता रहता है. श्रीमद्भागवत गीता के साथ ही कैदियों ने जेल में कुछ खास किताबों की डिमांड की है.

इन किताबों की बढ़ी डिमांड
गोरखपुर जेल के अधीक्षक दिलीप पांडे ने बताया कि, कैदी इन दिनों जेल में भागवत गीता, रामचरितमानस जैसे कई धार्मिक पुस्तकों का पाठ कर रहे हैं. इससे उनके व्यवहार में काफी बदलाव भी नजर आ रहा है. इसकी वजह से ही कई सजायाफ्ता बंदी जेल में ही काम भी कर रहे हैं और अपने घर पर पैसे भी भेज रहे हैं. इसके अलावा अभी हाल ही में जेल की लाइब्रेरी में कई अच्छे लेखकों की पुस्तकें भी मंगा दी गई हैं. इनमें शहर की आखिरी चिड़िया, पीले कागज की उजली इमारत, मानुष, रेल की बात, जीवन में संविधान, इस उस मोड पर, साथ ही गीता और श्री रामचरितमानस भी शामिल है.

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