अपने ही शासन के खिलाफ सड़क पर उतरीं डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे,धरना दिया

बैतूल. मध्यप्रदेश शासन की डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के इस्तीफे का मामला दिनोदिन तूल पकड़ता जा रहा है. मामला कोर्ट में है लेकिन इस बीच अपना इस्तीफा मंजूर करवाने के लिए अब निशा बांगरे सड़क पर उतर आयी हैं. उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया है. वो प्रदेश की ऐसी पहली डिप्टी कलेक्टर हैं जो कलेक्ट्रेट परिसर में धरना देकर बैठ गयी हैं.

निशा बांगरे ने मध्यप्रदेश शासन  पर न्यायपालिका को गुमराह करने के आरोप लगाते हुए चेतावनी दी है कि अगर तीन दिन में उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया तो वो आमरण अनशन पर बैठेंगी और किसी भी हाल में उन्हें चुनाव लड़ने से कोई रोक नहीं सकता.

कलेक्ट्रेट में धरना
विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे का कहना है उनकी राह में शासन रोड़ा बना हुआ है. वो बैतूल की दलित आरक्षित आमला सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं. सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे चुकी हैं लेकिन अभी उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है. इसलिए प्रदेश सरकार से उनकी लड़ाई अब सड़क पर आ गई है. निशा बांगरे ने मध्यप्रदेश शासन को सीधी चुनौती दे दी है कि अगर उनका इस्तीफा तीन दिन में मंजूर नही किया गया तो वो आमरण अनशन पर बैठ जाएंगी.

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डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे अपने समर्थकों के साथ जुलूस की शक्ल में कलेक्ट्रेट पहुंचीं और यहां धरना दिया.

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शासन पर गुमराह करने का आरोप
निशा बांगरे ने मध्यप्रदेश शासन पर न्यायपालिका को गुमराह करने के गम्भीर आरोप भी लगाए हैं. उनके मुताबिक शासन उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने के लिए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय को भ्रामक जानकारियां दी रहा है.

जहां जनता को सुनती थीं, आज वहीं धरना
एक साल पहले निशा बांगरे बैतूल में बतौर डिप्टी कलेक्टर पदस्थ थीं. जिस जगह वो कल तक लोगों की समस्याए सुनती थीं आज वहीं वो धरने पर बैठी हैं. निशा के मुताबिक महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण की बात हो रही है और दूसरी तरफ एक महिला अधिकारी को अपने अधिकारों से वंचित किया जा रहा है. उन्होंने खुला ऐलान कर दिया है कि वो चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. कोई भी ताकत उन्हें चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकती.

कोर्ट में केस
निशा बांगरे के इस्तीफे का मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है और अब सबकी नजर कोर्ट के निर्णय पर टिकी हैं. लेकिन इस बीच वो आमला विधानसभा में सक्रिय हैं और उनकी सक्रियता ने आमला में चुनावी समीकरण को काफी दिलचस्प बना दिया है. अगर तीन दिनों में उनके इस्तीफे को लेकर कोई फैसला नहीं होता है तो ये मामला और उलझ सकता है.

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