दीपक कुमार/ बांका: समेकित कृषि प्रणाली किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. इसमें उचित प्रबंधन के जरिए किसान एक साथ खेती के साथ इससे जुड़े व्यवसाय कर सकते हैं. इस कृषि प्रणाली के जरिए किसान अपनी आमदनी को भी बढ़ा सकते हैं. बांका जिला के शंभूगंज प्रखंड अंतर्गत मामरडीह गांव निवासी किसान सुरेश प्रसाद सिंह इस प्रणाली को अपनाकर ना सिर्फ अलग-अलग फसलों की खेती कर रहे हैं बल्कि बागवानी और मछली और गो-पालन भी कर रहे हैं. इससे अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. किसान सुरेश प्रसाद ने बताया कि पारपंरिक खेती करने से लाभ नहीं मिल पा रहा था, इसलिए अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए समेकित कृषि प्रणाली अपनाया है.
किसान सुरेश प्रसाद सिंह ने बताया कि समेकित कृषि प्रणाली के तहत दो एकड़ में खेती के साथ बागवानी और मछली और गो-पालन पालन कर रहे हैं. खेती में ज्यादातर रबी फसल और सब्जी की हीं खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि लगातार 40 वर्षों से खेती करते आ रहे थे, लेकिन 10 वर्ष पूर्व स्थानीय किसान सलाहकार के निर्देशन में समेकित कृषि प्रणाली को अपनाया. इससे फायदा यह हुआ कि एक सीजन में कई प्रकार की फसलों का उत्पादन कर ले रहे हैं. सब्जियों में प्याज के साथ सेम और करेला की भी खेती कर रहे हैं. इसके अलावा गोभी, गाजर, बीट, धनिया की बड़े पैमाने पर खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 10 कट्ठे में तालाब भी खुदवाया है. जिसमें कई प्रजाति के मछलियों का पालन कर रहे हैं.
सालाना पांच लाख से अधिक की हो जाती है कमाई
किसान सुरेश प्रसाद सिंह ने बताया कि मछली में ग्लास कप, सीलन, रेहू, कातल, मिर्गन जैसी मछलियों का पालन करते हैं. मछलियों को पालने किसी प्रकार का दान का प्रयोग नहीं करते हैं बल्कि तालाब में घास डाल देते हैं. जिससे पानी में ऊपर रहने वाली मछली ग्लास कप खाकर जल्द तैयार हो जाती है. वहीं वहीं नीचे रहने वाली मछलियां कीड़े खाकर साल भर में तैयार हो जाती है. जिसे बाजार में 150 से लेकर 250 रूपए प्रति किलो के रेट में बिक्री कर देते हैं. वहीं मछली तैयार करने में किसी प्रकार का कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करते हैं. जिससे काफी मुनाफा होता है. उन्होंने बताया कि बागवानी में आम, अमरूद, पपीता नींबू आदि के पेड़ हैं. कुल मिलाकर सालाना 5 लाख से अधिक की कमाई हो जाती है.
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FIRST PUBLISHED : March 10, 2024, 10:49 IST