अनोखी है इस मंदिर की स्थापना की कहानी, सपने में आकर मां ने दिया था आशीर्वाद

भरत तिवारी/जबलपुर. माता रानी और उनके मंदिरों से जुड़ी कई अलौखिक कथाएं पहले भी सुनी होंगी, जिसमें किस प्रकार चमत्कारों के रूप में माता रानी अपने भक्तों की रक्षा करती है. जबलपुर में भी एक ऐसा ही मंदिर है जिसकी कहानी और इससे जुड़े किस्से आप सुनकर हैरान हो जाएंगे. हम बात कर रहे हैं जबलपुर संस्कारधानी में स्थित शोभापुर काली माता मंदिर की, जो शोभापुर की पहाड़ियों में स्थित है.

यहां जाने का रास्ता काफी सरल है, यहां पहुंचने के लिए आपको जबलपुर संस्कारधानी में स्थित व्हीकल फैक्ट्री के पास सड़क से होते हुए आना होगा. पहाड़ों में स्थित इस मंदिर में माता रानी के दर्शन के लिए लगभग 400 से 500 सीढ़ियों को चढ़कर ऊपर जाना होगा. यहां से एक बेहतरीन नजारा भी देखने को मिलता है जहां से पूरे संस्कारधानी के नजारे का आनंद ले सकते हैं.

मंदिर निर्माण के पहले संत करते थे यहां पर तप
मंदिर में मौजूद पुजारी से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि इस जमीन में इस मंदिर में निर्माण के पहले पौराणिक कथाओं में चर्चित कई महान संतों ने आकर तप किया है. उन्हीं में से एक संत को यहां पर काली माता के मंदिर की स्थापना की प्रेरणा मिली. इसके बाद उन्होंने यहां पर मां काली की प्रतिमा को विराजित किया, तब से पहाड़ की इस चोटी पर विराजित माता काली पूरी संस्कारधानी में अपने भक्तों को आशीर्वाद दे रही हैं.

साध्वी है यहां की महंत
पंडित जी ने बताया कि यहां पर जो महंत है वह कोई संत नहीं बल्कि एक साध्वी है. उन्हें उनके गुरु द्वारा इस मंदिर का महंत बनाया गया था. इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त की श्रद्धा भाव से जो भी मनोकामना होती है वह अवश्य ही संपूर्ण होती है.

मंदिर के लिए ही समर्पित किया पूरा जीवन
मंदिर में मौजूद पुजारी जी ने बताया कि नवरात्रि के दिनों में जब भक्तों की काफी भीड़ यहां एकत्र हो जाती थी तब उनकी सुरक्षा हेतु उनकी ड्यूटी वहां पर लगाई जाती थी. उन्होंने अपना पूरा जीवन ही माता रानी के इस मंदिर में समर्पित कर दिया, उन्होंने मंदिर में ही एक छोटी सी कुटिया में निवास कर अपना संपूर्ण जीवन माता रानी को समर्पित कर दिया.

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