आशीष कुमार/पश्चिम चम्पारण. आपने मछली पकड़ने के कई तरीके देखे होंगे, लेकिन आज हम आपको मछली पकड़ने का एक ऐसा तरीका दिखाने वाले हैं, जिसका अंदाज़ा भी आपने कभी नहीं लगाया होगा. दरअसल, वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व के घने जंगलों में बसे थारू जनजाति के लोग मछली पकड़ने के लिए ऐसा अनोखा उपाय करते हैं, जिसमें न तो जाल और न हीं कांटे की जरूरत पड़ती है.
दोनों हाथों में दो छडियां और पीठ पर लदा एक बैग. जिसमें कुछ जरूरी वस्तुएं रखी होती है. इसी के सहारे मछली पकड़ने का काम करते हैं. इतना तो तय है कि आपने शायद हीं इससे पहले मछली पकड़ने का ऐसा अनोखा तरीका देखा होगा.
थारू इलाके में अपनाई जाती है यह तकनीक
पश्चिम चम्पारण जिला में थारू जनजातियों की भरमार है. खास बात यह है कि यहां यह जनजाति वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व के घने जंगलों एवं इसके आस-पास में निवास करते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि इस आधुनिक ज़माने में भी यहां के लोगों का खान-पान पूरी तरह से जंगल पर निर्भर है. पहाड़ से निकलने वाली नदियों से मछली पकड़ना तथा जंगल में उगने वाले कुछ ऐसे फल-फूल जिसे हम आप जानते तक नहीं है, इन आदिवासियों का मुख्य आहार होता है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि चम्पारण के ये थारू जनजाति के लोग मछलियों को पकड़ने के लिए एक ऐसी तकनीक का उपयोग करते हैं, जिसमें न तो जाल की आवश्यकता है और न ही कांटे की. बांस की पतली छड़ी पर एल्यूमीनियम की परत चढ़ा रहता है. उसपर बिजली का तार लपेट कर बैट्री तथा इन्वर्टर से जोड़ने के बाद उससे पास होने वाले करेंट से मछलियों को पकड़ते हैं.
220 वोल्ट के करेंट से मछलियों का करते हैं शिकार
हरनाटांड़ के महादेवा गांव निवासी शुभम नीरज थारू समाज से रिश्ता रखते हैं. शुभम के अनुसार जिला के लगभग सभी ( 250 ) थारू गांवों में मछली पकड़ने के लिए एक खास तकनीक अपनाई जाती है. वहां के निवासी बांस की पतली छड़ी लेकर उसके आगे एल्युमीनियम की परत चढ़ाते हैं. फिर उसे बिजली के तार से जोड़कर छड़ी पर लपेटते हुए पीठ पर लदे बैग में रखे हुए बैट्री से जोड़ते हैं.
गौर करने वाली बात यह है कि यह बैट्री बाइक या फिर ऑटो रिक्शा से निकाली जाती है. जिसका वजन करीब 10 किलो होता है. बैट्री को एक पोर्टेबल इन्वर्टर से कनेक्ट किया जाता है, जो बैट्री के साथ बैग में हीं रखा होता है. शुभम के अनुसार इस पोर्टेबल इन्वर्टर की कीमत बाज़ार में 500 से 600 रुपए होती है. इन्वर्टर बैट्री के पावर को डीसी से एसी मोड में बदल देता है, जिससे 220 वोल्ट का करेंट पैदा होता है.
1 मीटर का होता है करेंट का दायरा
इतना सब कुछ करने के बाद करेंट से लैस छड़ी को जंगल में मौजूद पहाड़ी नदियों में वहां डाला जाता है, जहां से मछलियों का झुंड गुजरता है. करेंट की चपेट में आते ही मछलियों को 220 वोल्ट का झटका लगता है, जिसे वो कुछ पल के लिए बेहोश हो जाती है. इतनी देर में लोग उसे पकड़कर झोले में डाल लेते हैं. शुभम के अनुसार, करेंट का दायरा महज़ 1 मीटर तक होता है. ऐसे में सिर्फ नियत दायरे तक ही करेंट फैलता है. छड़ी बांस की होने की वजह से मछुवारों को झटका भी नहीं लगता है.
.
Tags: Bihar News, Champaran news, Local18
FIRST PUBLISHED : October 13, 2023, 14:33 IST