अनार की खेती के लिए वरदान है बांका की मिट्टी, इस गांव के किसानों ने लगाया है 5 हजार पौधे

दीपक कुमार/बांका: बिहार का बांका जिला अधिकांश जंगली और पठारी इलाके वाला, बंजर भूमि के लिए जाना जाता था. एक दशक पहले तक इस इलाके को खेती लायक नहीं माना जाता था. लेकिन, जिला प्रशासन, कृषि विभाग और केवीके के संयुक्त प्रयासों ने इस इलाके की तस्वीर बदल दी. इस इलाके के किसान भी इस मुहिम में जुट गए. बंजर भूमि पर फसलों की खेती करने बजाए किसानों ने बागवानी लगाना शुरू किया. किसानों की मेहनत रंग लाने लगी.

बांका में अब आम की वो तमाम वैरायटी मिल जाएगी जो इस मिट्टी के अनुकूल है. आम की सफलता के बाद अमरूद, नींबू सहित अन्य फलों की बागवानी का प्रयोग भी सफल रहा. इसके बाद कृषि विज्ञान केन्द्र बांका के वैज्ञानिकों ने नाबार्ड के सहयोग से बंजर और पथरीली भूमि पर अनार की खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित करना शुरू किया. यह मुहिम भी रंग लाई और आज श्रीनगर गांव के बड़े भूभाग पर अनार की सफलता पूर्वक बागवानी की जा रही है.

बांका में अनार की खेती को बढ़ावा देने नाबार्ड का रहा अहम सहयोग
कृषि वैज्ञानिक सह फूल व फल विशेषण डॉ. विकास कुमार ने बताया कि अनार की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र में की जाती है. अब इसकी शुरुआत बांका के किसानों ने भी कर दी है. उन्होंने बताया कि बांका की मिट्टी अनार की बागवानी के लिए उपयुक्त है. यहां की मिट्टी में अनार का ग्रोथ रेट भी बेहतर है और फल के साथ दाना भी पुष्ट निकल रहा है. बंजर भूमि पर अनार की बागवानी करने वाले किसान बेहतर मुनाफा भी कमा रहे हैं. लेकिन, अनार की खेती करवाना आसान नहीं था.

इसमें नाबार्ड का बेहद अहम योगदान रहा. नाबार्ड के सहयोग से बांका जिला के बेलहर प्रखंड स्थित आदिवासी बहुल गांव श्रीनगर को चुना गया. इसके लिए बंजर और पथरीली मिट्टी को उपयुक्त बनाया गया. सिंचाई की समस्या जटिल थी. इसके लिए सरकार की योजनाओं का किसानों को लाभ दिया गया. साथ हीं सामुहिक रूप से बागवानी शुरू करवाया गया. आज श्रीनगर गांव की पहचान अनार उत्पादक गांव के रूप में हो रही है.

अनार की बागवानी का राह कर दिया आसान
डॉ. विकास कुमार ने बताया कि अनार की खेती करने के लिए सबसे पहले बंजर जमीन में 2/2 का गड्ढा खोदा गया. गड्ढे से निकलने वाली ऊपर की एक फीट मिट्टी को दाईं तरफ डाला गया. इसके बाद गड्ढों के अंदर से एक फीट मिट्टी निकालकर बाईं तरफ डाला गया. इसके बाद दाईं तरफ डाली गई मिट्टी में से 50 फीसद मिट्टी उठाकर उसमें 50 फीसद गोबर का खाद मिलाकर वापस गड्ढे में डाला गया. साथ हीं उसी गड्ढे में अनार का पौधा लगाया गया.

यह प्रयोग सफल रहा. श्रीनगर के लोगों ने इस विधि को अपनाकर एक-एक कर 5 हजार अनार के पौधे लगा दिए. ये पौधे अब पेड़ में तब्दील हो गया है. इससे किसान अब अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. साथ हीं बांका सहित आस-पास जिले में सप्लाई भी कर रहे हैं. इस वर्ष भी अनार में फूल आना शुरू हो गया है. मार्च से अप्रैल तक में फलन भी शुरू हो जाएगा. नाबार्ड के सहयोग से अनार के पेड़ में छिड़काव की भी व्यवस्था की जा रही है. ताकि ज्यादा से ज्यादा फलन हो सके.

Tags: Bihar News, Farming, Local18

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