अनहोनी की आशंका: कोरोना काल में सिलने के लिए दिए सैकड़ों कपड़े दर्जियों की दुकानों में धूल फांक रहे, नहीं लौटे ग्राहक

Hundreds of clothes given to be stitched during the Corona period are gathering dust in tailor shops

कोरोना काल से बन कर तैयार कपड़े कोई नहीं लेने आया
– फोटो : संवाद

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दर्जी को कपड़े सिलने के लिए देने के बाद सबको बेताबी होती है कि वह जल्द से जल्द उसे मिले और उसे पहने। अलीगढ़ के कई नामी दर्जियों के शोरूम में सैकड़ों जोड़ी सिले कपड़े हैंगरों में लटके धूल फांक रहे हैं, जो कोरोना काल के पहले ग्राहकों द्वारा सिलने के लिए दिए गए थे। इन्हें कोई लेने नहीं आ रहा। मेहनत-मजदूरी के लाखों रुपये फंसे हैं। 

परेशान दर्जियों के मन में सवाल घुमड़ रहे हैं क्या कोरोना की बीमारी इन ग्राहकों की जिंदगी लील गई। या कोई और अनहोनी घट गई। ऊहापोह में हैं कि इन कपड़ों का क्या करें। इनकी नीलामी कर दें अथवा कबतक रखे रहें। मन में यह भी सवाल घुमड़ता है कि अगर कोई इन्हें लेने आ गया तो वर्षों से कमाई साख को बट्टा न लगे।

दुकान

नगर के क्वार्सी चौराहे के पास दर्जी की मशहूर दुकान है। इसके संचालक दो भाई हैं। उनकी दुकान पर करीब 250 जोड़े पैंट-शर्ट, कोट-पैंट, सलवार-कमीज टंगे हैं। कपड़े कोरोना महामारी से पहले 25 मार्च 2020 से दिसंबर 2021 के बीच दिए गए थे। दर्जी मोहम्मद हारून ने बताया कि ग्राहकों के कपड़े सिल दिए गए थे, क्योंकि वह कभी भी लेने आ सकते थे। ग्राहकों के आने की उम्मीद अब दम तोड़ती जा रही है। दुकान पर जगह नहीं थी, उसे घर पर रख दिया गया। अगर यह कपड़े ग्राहक ले जाते तो उनकी करीब दो लाख रुपये की आमदनी भी हो जाती। इसी तरह अन्य दर्जियों की दुकानों से कपड़े लेने ग्राहक नहीं आए।

कोरोना काल से पहले सैकड़ों लोगों ने पैंट-शर्ट और सलवार-सूट सिलने के लिए दे गए थे, लेकिन कोरोना काल खत्म होने के बाद भी इन कपड़ों को लेने आए ग्राहक नहीं आए। -मोहम्मद हारून, टेलर

कोरोना काल की वजह से लोगों के सिले कपड़े दुकान पर रखे हैं। इन सिले कपड़ों कोई लेने नहीं आया। -नवाब अहमद, टेलर

क्रिकेटर रिंकू सिंह सिलवा चुके हैं कपड़े

न्यू बेस्ट टेलर्स के संचालक मोहम्मद हारून ने बताया कि उनके यहां भारतीय क्रिकेट टीम के उभरते खिलाड़ी रिंकू सिंह और उनके परिजन कपड़े सिलवाते थे। कई बार रिंकू स्वयं अपने कपड़े के नाप देने और उठाने आए हैं। हालांकि पिछले कई वर्षों से रिंकू के परिजन यहां पर कपड़े नहीं सिलवा रहे हैं।

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