भोपाल. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Election 2023) के लिए नामांकन प्रकिया पूरी हो गई है. बागी दोनों ही दलों भाजपा और कांग्रेस की नाक में दम किए हैं. बागियों से निपटने और उनकी प्रत्याशियों को निटपाने की कोशिशों वाली पर्दे के पीछे की सियासत चरम पर है. मुखालफत रोकने के लिए पार्टियां तरह-तरह की जुगत लगा रही हैं तो बागी भी अपनी पार्टी को सबक सिखाने की ठान चुके हैं. न्यूज18 हिंदी के खास कॉलम ‘अनकही राजनीति!’ में इन्हीं किस्सों को गुदगुदाने वाले अंदाज में पढ़िए.
पत्नी के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं मंत्री जी
हर बार की तरह मालवा-निमाड़ इलाके से आने वाले एक मंत्री जी इस बार भी पूरे प्रदेश में अपने नामांकन के कारण चर्चाओं में बने हुए हैं. इसकी वजह है इन्होंने अपने नामांकन में चार पत्नियों का जिक्र किया है. इन चार में से सिर्फ एक पत्नी ही इन्कम टैक्स जमा करती हैं बाकी तीन पत्नियां गरीब हैं. मजेदार बात यह है कि यह मंत्री जी अपनी पहली पत्नी के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुके हैं. मंत्री जी सातवीं बार विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं. पहली बार वे 1993 में विधानसभा चुनाव में उतरे थे.
अब अधिकारी भी बोले – मेरा नेता बनेगा मुख्यमंत्री
प्रदेश में अब तक तो भाजपा या कांग्रेस के कार्यकर्ता ही बोलते थे कि हमारी पार्टी की सरकार आई तो मेरे नेता जी का मुख्यमंत्री बनना तय है. लेकिन इस बार यह वाक्य अधिकारी भी बोलने लगे हैं. अधिकांश अधिकारी आचार संहिता के खाली वक्त में अपने करीबी नेताओं की ब्रांडिंग करने में लगे हैं. एक आईएएस अधिकारी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के मुख्यमंत्री बनने का दावा कर रहे हैं तो दूसरे अधिकारी कांग्रेस के ताल्लुक रखने वाले मुख्यमंत्री का. इसी तरह एसीएस रैंक के एक अफसर चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव लड़ रहे उनके करीबी एक केन्द्रीय मंत्री मुख्यमंत्री बन जाएं. हालांकि, मुख्यमंत्री कौन होगा यह तो कांग्रेस या भाजपा की सरकार बनने के बाद ही तय होगा.
सरकार बनने की आस में रौब झाड़ना पड़ा भारी, लगी फटकार
कांग्रेस के एक नेता जी अपनी सरकार बनने के प्रति इतने ज्यादा आश्वस्त हो गए हैं कि अभी से अधिकारियों पर रौब झाड़ना शुरू कर चुके हैं. वे जब भी कोई अधिकारी को मोबाइल लगाते हैं तो बात यहीं से शुरू करते हैं कि हमारी सरकार आ रही है. ऐसे ही एक अधिकारी को मोबाइल लगाकर उन्होंने यह वाक्य बोला और कुछ काम बताया. लेकिन अधिकारी ने काम नियम में नहीं होने के कारण स्पष्ट तौर पर करने से मना कर दिया. नेता जी को ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी. उन्होंने थोड़े गर्म लहजे में अधिकारी को चेतावनी दे दी. अधिकारी ने भी बोल दिया कि सरकार बनने के बाद आपसे जो बने आप करने के लिए स्वतंत्र हैं. साथ ही नेता जी के आका को मोबाइल लगाकर अधिकारी ने सारी बता दी. आका ने अपने ही चेले नेता को जमकर फटकार लगाकर व्यवहार अच्छा करने की नसीहत दी है.
डकैत खत्म फिर भी एक हजार लोगों पर लगा डकैती का केस
शिवराज सरकार पिछले कई सालों से लगातार दावा करती आ रही है कि हमने प्रदेश से डकैतों का पूरी तरह सफाया कर दिया है. यह दावा सरकार 2007 से करती आ रही है लेकिन मजेदार बात यह है कि डकैती की धारा का उपयोग अब भी जमकर हो रहा है. पिछले दिनों जारी एक रिपोर्ट में सरकार के इस दावे की पोल खुल गई है. इसमें बताया गया है कि पिछले तीन सालों में करीब एक हजार व्यक्तियों के खिलाफ डकैती की धारा लगाई गई है. करीब सौ करोड़ रुपए से ज्यादा डकैतों के खात्मे में खर्च किए गए हैं. यानी खात्म के बाद भी डकैती के केस भी दर्ज हो रहे हैं और इसके नाम पर बंदरबांट भी.
फेक वीडियो की आई बाढ़
इस चुनाव में एआई यानि आटिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से बनने वाले फेक वीडियो की बाढ़ आई हुई है. विधानसभा चुनाव में एआई टेक्नोलॉजी का इस्तमाल पहली बार हो रहा है. दोनों ही प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ इन वीडियो के जरिए भ्रामक प्रचार किया जा रहा है. पहले तो मतदाता इन वीडियो को सच मान रहा था. लेकिन अब मतदाता इन वीडियो की हकीकत जान चुका है. ऐसे में इन वीडियो को सच मानने के बजाए सिर्फ उसे मनोरंजन का साधन मान रहा है.
कांग्रेस-भाजपा आपस में भाई-भाई
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई की तरह प्रदेश के मध्य में बसे एक बड़े जिले में कांग्रेस और भाजपा भाई-भाई हो गई है. दरअसल इस सीट से भाजपा और कांग्रेस ने दो सगे भाईयों को मैदान में उतार दिया है. ऐसे में जीते कोई भी विधायक घर का ही रहेगा. भाजपा वाले भाई को इस बार टिकट कटने का डर था. ऐसे में उसने अपने एक भाई को कांग्रेस में शामिल करा दिया. कांग्रेस के पास कोई विकल्प नहीं था तो उसे ही टिकट दे दिया. पहले माना जा रहा था कि कांग्रेस अपना प्रत्याशी बदल देगी. लेकिन कोई फेरबदल नहीं किया.
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FIRST PUBLISHED : October 31, 2023, 10:53 IST