अतीत का अलीगढ़
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मौजूदा समय में एएमयू अलीगढ़ की पहचान है। मुस्लिम विद्यार्थियों के लिए अंग्रेजी शिक्षा पद्धति के विश्वविद्यालय का सपना सर सैयद ने 1870 में देखा था। इसकी स्थापना 1875 में मोहम्मडन एंग्लो कॉलेज के तौर पर अलीगढ़ की सैन्य छावनी के पुराने मेस में की गई थी। इसके नए भवन का शिलान्यास लार्ड लिट्टन ने 1877 में किया था। इससे बाद यह शैक्षिक संस्था निरंतर प्रगति की राह पर आगे बढ़ती गई।
मौजूदा समय में एएमयू में 37000 विद्यार्थी हैं। 1875 में मोहम्मडन एंग्लो कॉलेज के पहले बैच में 66 बच्चे थे। 1878 में 186, 1888 में 218, 1898 में 343 विद्यार्थी थे। 1908 में विद्यार्थियों की संख्या बढ़कर 770 तक पहुंच गई थी। इस कॉलेज की स्थापना का महत्व इस बात से भी समझा जा सकता है कि 1872 की जनसंख्या के मुताबिक जिले की साक्षरता दर सिर्फ दो फीसदी से कुछ ही ज्यादा ( 2.22 फीसदी) थी।
एचजी सिडॉन थे पहले प्रचार्य
मोहम्मडन एंग्लो ओरिंएंटल कॉलेज के पहले प्राचार्य अंग्रेज एचजी सिडॉन थे। यह कॉलेज की स्थापना के छह वर्ष तक प्राचार्य रहे। इसके बाद 1883 में टीरीक को कॉलेज का प्राचार्य बनाया गया जो 1889 तक इस पद पर रहे। इसके बाद टी मॉरिसन ने कॉलेज प्राचार्य का पद संभाला। उन्होंने 1906 में इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह डब्ल्यू ए आर्च बोल्ड ने ली।
74 एकड़ भूमि थी कॉलेज के पास, 6000 रुपये की मिली थी सालाना ग्रांट
मोहम्मडन एंग्लो ओरिंएंटल कॉलेज के पास शुरुआती दौर में 78 एकड़ जमीन थी। सालाना ग्रांट 6000 रुपये सालाना थी। बाद में ग्रांट में बढ़ोतरी होती गई। इसका ज्यादातर उपयोग भवनों के निर्माण में किया गया। कॉलेज को 1882 में 10000 रुपये उपहार में मिले थे। 1900 में 20000 रुपये का उपहार छात्रावास के निर्माण के लिए मिला था। कॉलेज में दो चौकोर परिसर थे। इनमें छात्रावास, एक मस्जिद, शानदार डाइनिंग हॉल, कई व्याख्यान कक्षों का निर्माण किया गया था।