अतीत का अलीगढ़ 18: 1856 में पहली बार गृहकर लगाया गया था अलीगढ़ में, एक पैकेट भेजने में लगता था दो पैसे

House tax was imposed for the first time in Aligarh in 1856

अतीत का अलीगढ़
– फोटो : अमर उजाला

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आज भी अलीगढ़ शहर के बाशिंदों और नगर निगम में गृहकर को लेकर रस्साकशी चल रही है। निगम सौ फीसदी लोगों से गृहकर की वसूली नहीं कर पा रहा है। अंग्रेजी शासन काल में स्थानीय निकायों को आर्थिक रूप से स्वायत्त बनाने के कदम उठाए गए थे। चुंगी अर्थात स्थानीय निकाय की सीमा में सामान समेत प्रवेश करने पर लिया जाने वाला महसूल ही सर्वप्रथम आय का प्रमुख स्रोत था। वसूली का लक्ष्य पूरा किया जाता था। कोल क्षेत्र में 1805-1810 में चुंगी और  आंतरिक आयात शुल्क से होने वाली सालाना आमदनी 6000 रुपये थी। 1836 में यह आय दोगुनी होकर12500 रुपये सालाना तक पहुंच गई थी। आंतरिक आयात शुल्क को 1836 में खत्म कर दिया गया था।

1882 में हरदुआगंज से टाऊन एरिया का दर्जा छिना था

कर संग्रहण के पहले दशक में अकेले कोल (अलीगढ़) में विकास कार्यों पर 30000 रुपये खर्च किए गए। गृहकर की जगह शुरुआती दौर में टाऊन टैक्स वसूला जाता था। यह राशि मोहल्लों के विकास में खर्च की जाती थी। इसे 1856 ईस्वी में 20वें अधिनियम द्वारा लगाया गया था।  इसे कोल (अलीगढ़) और हाथरस में तो इसी साल लागू किया गया था। 1 जनवरी 1856 को कोल, हाथरस, अतरौली, सिकंदराराऊ और हरदुआगंज को पालिका का दर्जा मिला। लेकिन सितंबर 1882 में हरदुआगंज से पालिका का दर्जा वापस ले लिया गया था। जिले के ज्यादातर क्षेत्रों का प्रशासन 1856 में पारित 20वें अधिनियम द्वारा किया जाता था। यह अधिनियम 1860 में अतरौली, सिकंदराराऊ और हरदुआगंज में लागू किया गया था।

इसके बाद इसे टप्पल, खैर, मुरसान, सासनी और मेंडू इसमें जोड़े गए। बाद में इसका विस्तार पिलखना, कौड़ियागंज, पुरदिलनगर, विजयगढ़, जलाली, कछौरा, दतौली, हसायन, छर्रा-रफतपुर, और गंगीरी में किया गया। लेकिन 1902 में दरयाबपुर  और 1909 में दतौली, गंगीरी और जट्टारी को इस अधिनियम की जद से बाहर कर दिया गया था। उस वक्त टाऊन की संख्या 15 थी। 1860 और 1867 के दौरान दादों, बरौली, चंडौस, इगलास, सोमना और अकराबाद में भी गृहकर लगाए गए मगर इन क्षेत्रों की तात्कालिक गरीबी को देखते हुए 1882 से 1895 के मध्य गृहकर को समाप्त कर दिया गया था।

अंग्रेजों ने गांवों की सफाई पर भी दिया था ध्यान, 1892 में लागू कियाग्रामीण स्वच्छता अधिनियम

आज भी कई गांवों में साफ-सफाई न होने की शिकायत मिलती है। अंग्रेजों ने गांवों की साफ-सफाई पर खास तवज्जो दी थी। 1892 में अंग्रेज ग्रामीण स्वच्छता अधिनियम लाए थे। इसे पूरे जिले में लागू किया गया था। जिले के सभी टाऊन एरिया क्षेत्रों में संग्रह किए गए कर और गृहकरों का आवंटन रोड एंड फेरी फंड कमेटी, दवाखाना कमेटी और स्कूल कमेटियों के मध्य होता था। 1871 में सभी कमेटियों का विलय जिला कमेटी में कर दिया गया।

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