अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा: कोर्ट ने लिखित दलीलें मांगी, कहा- हिंडनबर्ग रिपोर्ट को सही मानने की जरूरत नहीं

नई दिल्ली2 दिन पहले

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24 जनवरी 2023 को अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। - Dainik Bhaskar

24 जनवरी 2023 को अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे।

अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने सोमवार तक सभी पक्षों से लिखित दलीलें मांगी हैं। आज यानी शुक्रवार, 24 नवंबर को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।

CJI ने कहा- हमें अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को तथ्यात्मक रूप से सही मानने की जरूरत नहीं है। हिंडनबर्ग यहां मौजूद नहीं है, हमने SEBI से जांच करने को कहा है। वहीं मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने कहा कि वह जांच के लिए अब और समय नहीं मांगेगी। 8 महीने से वो इस मामले की जांच कर रही है।

24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इसके अलावा मार्केट रेगुलेटर SEBI (भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) को भी जांच करने के लिए कहा था, लेकिन सेबी अभी तक अपनी रिपोर्ट पेश नहीं कर पाई है।

5 पॉइंट में आज की कार्यवाही:

  • अदालत ने कहा कि मार्केट रेगुलेटर सेबी को सभी 24 मामलों में जांच पूरी करनी होगी। इससे पहले, सेबी ने 25 अगस्त को अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि उसने 24 में से 22 मामलों में अपनी जांच पूरी कर ली है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट को पूरी तरह सत्य के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। हिंडनबर्ग रिपोर्ट की सत्यता का परीक्षण करने का कोई साधन नहीं है और इसलिए सेबी से जांच करने को कहा गया है।
  • याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बाजार नियामक की कार्रवाई संदिग्ध है क्योंकि उनके पास 2014 से अडाणी से जुड़ी डिटेल्स हैं। डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) ने 2014 में सेबी चेयरमैन के साथ ये डिटेल्स शेयर की थी।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेबी को किसी अखबार में छपी खबर, चाहे वह फाइनेंशियल टाइम्स में ही क्यों न हो, को सच्चाई के रूप में लेने के लिए नहीं कहा जा सकता। FT ने गौतम अडाणी के भाई से जुड़ी रिपोर्ट पब्लिश की थी।
  • एक्सपर्ट कमेटी के पुनर्गठन पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि यह कमेटी के साथ बहुत अन्याय होगा और लोग सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त समिति में काम करना बंद कर देंगे।

SEBI के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की मांग
SEBI की ओर से अब तक रिपोर्ट नहीं सौंपे जाने के कारण बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इसमें अवमानना ​​की कार्रवाई करने की मांग की गई थी। जनहित याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कहा था कि SEBI को दी गई समय सीमा के बावजूद वह अदालत के निर्देशों का पालन करने में विफल रही है और अपनी फाइनल रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है।

इससे पहले 30 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया था। वहीं 20 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई को भी 10 दिन यानी 30 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया था।

SEBI को 2 पहलुओं पर जांच करने के लिए कहा था

  • क्या सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स के नियम 19 (A) का उल्लंघन हुआ?
  • क्या मौजूदा कानूनों का उल्लंघन कर स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ?

मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग से जुड़ा है नियम 19 (A)
कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स का नियम 19 (A) शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों की मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़ा है। भारतीय कानून में किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% शेयरहोल्डिंग पब्लिक यानी नॉन इनसाइडर्स की होनी चाहिए।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियां मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडाणी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए। इसने अडाणी ग्रुप को कानून से बचने में मदद की।

SEBI जांच में अब तक क्या-क्या हुआ?

  • 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक कमेटी बनाई थी और SEBI को भी जांच के लिए 2 महीने का समय दिया था।
  • SEBI को 2 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन SEBI ने सुनवाई के दौरान जांच के लिए 6 महीने की मोहलत मांगी।
  • बेंच ने इसे अगस्त तक बढ़ा दिया। यानी SEBI को अपनी जांच कर रिपोर्ट सौंपने के लिए कुल 5 महीने का समय मिला।
  • 14 अगस्त को SEBI ने अपनी जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 15 दिन का समय और मांगा।
  • 25 अगस्त को SEBI ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट फाइल की। बताया कि 22 जांच फाइनल हो चुकी हैं और 2 अधूरी हैं।

19 मई को कमेटी सार्वजनिक कर चुकी है रिपोर्ट
वहीं सुप्रीम कोर्ट की कमेटी अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच रिपोर्ट 19 मई 2023 को सार्वजनिक कर चुकी है। कमेटी ने कहा था कि अडाणी के शेयरों की कीमत में कथित हेरफेर के पीछे SEBI की नाकामी थी, अभी इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता। कमेटी ने ये भी कहा था कि ग्रुप की कंपनियों में विदेशी फंडिंग पर SEBI की जांच बेनतीजा रही है।

एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के पॉइंट…

  • कमेटी ने रिपोर्ट में कहा- SEBI को संदेह है कि अडाणी ग्रुप में निवेश करने वाले 13 विदेशी फंडों के प्रमोटर्स के साथ संबंध हो सकते हैं।
  • अडाणी ग्रुप के शेयरों में वॉश ट्रेड का कोई भी पैटर्न नहीं मिला है। वॉश ट्रेड यानी वॉल्यूम बढ़ाने के लिए खुद ही शेयर खरीदना और बेचना।
  • कुछ संस्थाओं ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिश होने से पहले शॉर्ट पोजीशन ली थी। जब शेयर के भाव गिरे तो इसे खरीदकर मुनाफा कमाया।

अब तक कुल 6 याचिका दायर

  • मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR की मांग की थी। इसके साथ ही इस मामले में मीडिया कवरेज पर रोक की भी मांग की गई थी।
  • विशाल तिवारी ने SC के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की थी। तिवारी ने अपनी याचिका में लोगों के उन हालातों के बारे में बताया था जब शेयर प्राइस नीचे गिर जाते हैं।
  • जया ठाकुर ने इस मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की भूमिका पर संदेह जताया था। उन्‍होंने LIC और SBI की अडाणी एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन के निवेश की भूमिका की जांच की मांग की थी।
  • मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में SEBI, ED, आयकर विभाग, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस से जांच के निर्देश देने की मांग की थी। मुकेश कुमार ने अपने वकीलों रूपेश सिंह भदौरिया और महेश प्रवीर सहाय के जरिए ये याचिका दाखिल कराई थी।
  • एक और याचिका दायर की गई थी जिसमें याचिकाकर्ता अनामिका जायसवाल ने नई कमेटी बनाने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि कमेटी में ऐसे व्यक्तियों को शामिल किया जाए, जिनकी छवि बेदाग हो और इस केस से कोई लेना-देना न हो।
  • विशाल तिवारी ने SEBI की रिपोर्ट में देरी के कारण एक और याचिका दायर की थी। इसमें अवमानना ​​कार्यवाही की मांग की गई थी। कहा था कि SEBI को दी गई समय सीमा के बावजूद वह अदालत के निर्देशों का पालन करने में विफल रही है।

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