अडाणी के कोल-इंपोर्ट मामले की जांच करना चाहता है DRI: सुप्रीम कोर्ट से परमीशन मांगी, कम कीमत में कोयला खरीदकर महंगा दिखाने का आरोप

नई दिल्लीएक घंटा पहले

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अडाणी ग्रुप से जुड़े कोल इंपोर्ट मामले में डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) ने दोबारा जांच शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से परमीशन मांगी है। DRI ने कहा है कि उसे सिंगापुर से इस मामले से जुड़े सबूत इकट्ठा करने की अनुमति दी जाए। अमेरिकी न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में इसके बारे में जानकारी दी है।

रिपोर्ट के अनुसार, जांच एजेंसी 2016 से सिंगापुर के अधिकारियों से अडाणी ग्रुप के लेन देन से संबंधित डॉक्युमेंट प्राप्त करना चाहती है। DRI का मानना है कि इंडोनेशियाई सप्लायर से इंपोर्ट किए गए कोयले के कई शिपमेंट का ग्रुप ने सिंगापुर की अडाणी ग्लोबल पीटीई के जरिए ज्यादा कीमत वाले बिल बनवाए।

कोर्ट के डॉक्यूमेंट्स से पता चलता है कि गौतम अडाणी की कंपनियां कानूनी प्रोसेस के जरिए सिंगापुर और भारत में इस मामले से जुड़े डॉक्युमेंट को रिलीज होने से रोकने में कामयाब रहे हैं।

क्या है पूरा मामला…

  • फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि अडाणी ग्रुप ने इंडोनेशिया से कम रेट में कोयले को इंपोर्ट किया और बिल में हेराफेरी करके ज्यादा दाम दिखाए। इसी के चलते ग्रुप ने कोयले से जनरेट होने वाली बिजली को ग्राहकों के पास ज्यादा कीमत में बेची गई।
  • फाइनेंशियल टाइम्स ने बताया कि उन्होंने 2019 से 2021 के बीच 32 महीनों में अडाणी ग्रुप के जरिए इंडोनेशिया से भारत इंपोर्ट किए गए 30 कोयले शिपमेंट की जांच की। इन सभी शिपमेंट के इंपोर्ट रिकार्ड में एक्सपोर्ट डिक्लेरेशन की तुलना में कीमतें ज्यादा मिली। इंपोर्ट के दौरान कंबाइंड शिपमेंट की वैल्यु 70 मिलियन डॉलर (करीब ₹582 करोड़) से अधिक बढ़ाया गया।

DRI ने 2014 में इस मामले की जांच शुरू की थी
रिपोर्ट के अनुसार, DRI ने 2014 में इस मामले की जांच शुरू की थी, जिसमें 40 कंपनियां शामिल थी। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि इंडोनेशियाई कोयले को इंपोर्ट करने वाली कंपनियां सिंगापुर सहित अन्य जगहों पर बिचौलियों के माध्यम से भेजे गए शिपमेंट के बिल को दिखाकर डिलीवरी पर ओवर चार्ज कर रही थीं।

जांच अधिकारियों ने अडाणी ग्रुप की कंपनियों के जुड़े 1300 शिपमेंट की समीक्षा की और आरोप लगाया कि इंडोनेशिया से एक्सपोर्ट की तुलना में कोयले के प्राइस को इंपोर्ट करते समय बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। इसके पीछे का उद्देश्य देश में महंगी कीमत में बिजली बेचना और पैसे को हड़पना था।

2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने जांच में लगाई थी रोक
अडाणी ग्रुप की चुनौती पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2019 में उसके खिलाफ सबूत इकट्ठा करने के अनुरोध को खारिज कर दिया था, जिसमें प्रोसिजरल खामियों का हवाला दिया गया था। कुछ दिनों बाद एजेंसी ने इसके बारे में सुप्रीम कोर्ट में अपील की, तब शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए जांच करने की अनुमति दी थी। इसके बाद 2020 में अडाणी ग्रुप की डिमांड पर सिंगापुर की अदालत ने कहा था कि इससे जुड़े डॉक्युमेंट को अभी रिलीज नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि भारत की शीर्ष अदालत अंतिम निर्णय में नहीं पहुंची है।

सभी आरोपों को खारिज कर चुका है अडाणी ग्रुप
अडाणी ग्रुप कोयले की कीमत में हेराफेरी से जुड़े सभी आरोपों को खारिज कर चुका है। ग्रुप ने कहा कि फाइनेंशियल टाइम्स की कहानी पुराने और निराधार आरोपों पर बेस्ड है। यह सार्वजनिक रूप से अवेलेबल फैक्ट्स और जानकारियों की रीसाइक्लिंग है।

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