अनूप पासवान/कोरबाः सनातन धर्म में भगवान श्री राम की उपासना का विशेष महत्व हैं, इन्हें हिन्दू धर्म का प्रतीक माना जाता है.आने वाले 22 जनवरी को अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. जिससे दुनिया के प्रत्येक कोने में रहने वाले सनातन धर्म के लोग उत्साहित है. इस धर्म में सभी वर्ग के लोग राम नाम का जाप करते हैं. लेकिन क्या आपको पता देश में एक ऐसा समाज रहता है, जिसके तन-मन में राम बसते हैं.
आज हम बात करेंगे रामनामी समाज की जिसे राम रमिया भी कहा जाता है. मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ में निवास करने वाले रामनामी समाज के लोगों में भगवान श्री राम को लेकर अटूट आस्था देखने को मिलती है. इस समाज के लोग अपना तन और मन प्रभु श्री राम के प्रति अर्पित कर देते हैं. सुबह उठने के बाद राम नाम से उनकी दिन की शुरुआत होती है. इस समाज के लोगों को देखकर ही आप पहचान जाएंगे की रामनामी समाज का व्यक्ति हैं. क्यों की इस समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपने शरीर पर राम नाम का टैटू बनवाते हैं. माथे से लेकर पूरे शरीर पर बने टैटू के साथ इनके तन पर राम नाम का चादर और सर पर मोर पंख की मुकुट इनकी वेशभूषा हैं. इस समाज की खास बात यह है कि ये झूठ नहीं बोलते और मांस मदिरा का सेवन नहीं करते. राम नाम से शुरू हुई इनकी सुबह राम नाम जपते रात हो जाती हैं.
पूरे शरीर पर लिखा होता है राम नाम
पुरातत्व विभाग के मार्गदर्शक हरि सिंह क्षत्रिय ने बताया कि रामनामी संप्रदाय के लोगों के पूरे शरीर पर राम नाम लिखा होता है. वह सफेद वस्त्र धारण करते हैं और हर समय भजन कीर्तन में लीन रहते हैं. रामनामी समुदाय की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य के चंपा जांजगीर जिले के छोटे से गांव चारपारा में हुई थी. जब भक्ति आंदोलन अपने चरम पर था. तब दलित समुदाय के लोगों से मंदिर में जाने का हक छीन लिया गया था. उस वक्त समुदाय के एक युवक परशुराम ने 1890 में समाज की स्थापना की थी.
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FIRST PUBLISHED : January 11, 2024, 20:37 IST