शशिकांत ओझा/पलामू. बेतला नेशनल पार्क झारखंड के जंगलों की अनमोल धरोहर है. यहां के जंगलों और पहाड़ों के अनुपम सौंदर्य के मुरीद भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी थे. जनवरी 1981 में पलामू में प्रांतीय अधिवेशन के बाद उनके पास दो दिन का समय था. उस दौरान उन्होंने बेतला के जंगल में हाथी की सवारी की थी. जंगल घूमते समय आसपास के लोगों से यहां के इतिहास के बारे में जानकारी भी ली थी. उनको देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी.
यहां हाथियों की सवारी थी खास
वाइल्ड लाइफ के जानकार डॉ. डीएस श्रीवास्तव ने बताया कि हाथियों की सवारी कर जंगल सफारी करना बेतला नेशनल पार्क की पुरानी परंपरा रही है, जो अब खत्म हो गई है. बेतला जब आरंभ हुआ था, तब इसका एक निर्धारित रास्ता हुआ करता था. जहां हाथी से सुबह और शाम लोगों को घुमाया जाता था. वाइल्ड लाइफ स्टडी के लिए भी हाथियों का इस्तेमाल किया जाता था. मैंने भी हाथियों पर रिसर्च की है.
सरकार ने बंद की परंपरा
वहीं बेतला में पुरानी परंपरा में गुमला से लाई रजनी हथिनी लोगों को बहुत प्रिय थी. वहीं उसकी मृत्यु के बाद बेतला में मातम छा गया था. वर्ष 2017 में इस परंपरा को सुप्रीम कोर्ट के एक ऑर्डर के बाद बंद कर दिया गया था. हालांकि, यह ऑर्डर उत्तराखंड के लिए था, लेकिन झारखंड सरकार ने भी पर्यटन में हाथियों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी.
अब निजी वाहनों से लोग करते हैं सफारी
बेतला नेशनल पार्क में अब निजी वाहन से जंगल सफारी की जाती है. लेकिन, छोटे वाहनों को अंदर जाने पर प्रतिबंध है. पार्क घूमने के लिए 300 रुपये एंट्री फीस लगती है. साथ ही 100 रुपए मेंटेनेंस और 150 रुपए गाइड लेते हैं. अगर पर्यटकों के पास निजी वाहन नहीं हैं तो इसके लिए पार्क में कई वाहन लगे हैं, जिसे 650 रुपये में बुक कर वाइल्ड लाइफ का मजा उठा सकते हैं. वाहन से पर्यटकों को पार्क के अंदर 18 से 20 किलोमीटर घुमाया जाता है. पार्क में जाने के बाद 5 रोड एंट्री है, किसी रास्ते से पर्यटक अंदर जा सकते हैं. पार्क के अंदर वॉच टावर भी है, जहां पहले पर्यटक उतरते थे मगर अब पर्यटकों को गाड़ी से नीचे उतरने पर प्रतिबंध है.
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FIRST PUBLISHED : October 9, 2023, 18:56 IST