मो. सरफराज आलम/सहरसा. आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी कहानी रोचक भरी है. सहरसा जिला मुख्यालय से तकरीबन 38 किलोमीटर दूर सोनवर्ष राज के विराटपुर गांव में चंडी स्थान है. यह चंडी स्थान मंदिर देवी शक्ति को समर्पित है, देश के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है. ऐसा कहा जाता है कि मंदिर हजारों साल पुराना है. मां चंडी यहां स्वयं अवतरित हुई थी. इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है. जब पांडव निर्वासन काल में थे तो उन्होंने यहां रुक कर मां चंडी की पूजा अर्चना की थी.
ग्रामीण अमरेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि गांव में स्थित मां चंडिका स्थान इस इलाके की धरोहर है. यहां महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी मां की पूजा-अर्चना की थी. यहां पुरातत्व विभाग को खुदाई में हजारों वर्ष पुराना अवशेष मिल चुका है. कहा जाता है कि मंदिर हजारों वर्ष पुराना है और मां चंडी यहां स्वयं अंकुरित हुई थी. मान्यता है कि महाभारत काल के दौरान जब पांडवों को अज्ञातवास करना पड़ा था, उस समय पांडव यहां आए थे. उस दौरान पांडवों ने मां चंडी की पूजा-अर्चना की थी. काफी दिनों तक पूजा-अर्चना के बाद मां ने प्रसन्न होकर पांडवों को विजयश्री का आर्शीवाद दिया था. पांडवों ने महाभारत युद्ध में विजयश्री हासिल की थी.
राक्षस ने की थी पोखर की खुदाई
कहां जाता है इसकी जानकारी आज तक नहीं मिल पायी है. इसी मंदिर परिसर में एक पोखर भी है. इस पोखर का भी एक अलग महत्व है. बताया जाता है कि राक्षस ने एक दिन में दांत से इस पोखर की खुदाई की थी. इस मंदिर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 24, 2023, 12:59 IST