अजमेर दरगाह के खादिमों के संगठन ने फलस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए प्रार्थना सभा आयोजित की।
अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सरवर चिश्ती ने बताया कि दरगाह परिसर में ‘फलस्तीन में खून खराबा रोकें’ शीर्षक से कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें फलस्तीन के लोगों के लिए दुआ की गई।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार से कोई मांग नहीं की गई।
चिश्ती ने अजमेर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “फलस्तीन के लोगों पर अत्याचार पिछले 75 वर्षों से जारी है। महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि फलस्तीन फलस्तीनी लोगों का है। पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी का यह रुख रहा है कि फलस्तीन अरब के लोगों का है और हमारा भी यही मानना है।’’
उन्होंने कहा कि फलस्तीन के लोगों को शांति के साथ रहने की अनुमति दी जानी चाहिए और अत्याचार बंद होना चाहिए।
उन्होंने कहा, “दुनिया के मुसलमानों का फलस्तीन से संबंध है। फलस्तीन के लोग अपनी जमीन की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं और उन्हें आजादी मिलनी चाहिए।’’
खादिम दरगाह के मौलवी होते हैं।
अजमेर में सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती की विश्व प्रसिद्ध दरगाह का प्रबंधन दरगाह ख्वाजा साहब अधिनियम, 1955 द्वारा शासित होता है।
दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख ज़ैनुल आबेदीन अली खान ने बृहस्पतिवार को एक बयान जारी कर संयुक्त राष्ट्र और भारत सरकार से हमास द्वारा इजराइल में हमलों के बाद संघर्ष को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था।
उन्होंने क्षेत्र में जानमाल के नुकसान पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि यह अनुचित है और इस्लाम और यहूदी धर्म दोनों के सिद्धांतों के खिलाफ है।
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