अजब-गजब स्कूल! एक ही ब्लैक बोर्ड पर होती है 3 क्लास की पढ़ाई, ऐसे पढ़ेंगे तो कैसे कामयाब होंगे नौनिहाल

नीरज कुमार/बेगूसराय. बिहार के सरकारी स्कूलों में संसाधनों की कमी वर्षों से है, पर आज हम आपको एक ऐसे स्कूल की कहानी बताने जा रहे हैं जहां ब्लैक बोर्ड को भी तीन हिस्से में बांटकर पढ़ाया जाता है. एक साथ एक कमरे में तीन अलग-अलग विषयों की पढ़ाई होने के कारण छोटे-छोटे बच्चे न तो हिंदी ठीक से समझ पाते हैं और ना ही उर्दू. बस स्कूल आ रहे हैं और पढ़ाई के नाम पर शोर का हिस्सा बनकर वापस लौट जा रहे हैं.

दरअसल, मानक कहता है कि प्रति कक्षा एक कमरा और एक एचएम व शिक्षक का कमरा होना चाहिए. इस तरह से स्कूल में अगर पांचवीं तक की पढ़ाई हो रही है, तो यहां कुल छह कमरे होने चाहिए. मामला उर्दू प्राथमिक विद्यालय चेरिया बरियारपुर का है. यह एक गंभीर समस्या है जो शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करती है.

एक कमरे में तीन, तो दूसरे में दो कक्षा की होती है पढ़ाई
बिहार की शिक्षा व्यवस्था का हाल चेरिया बरियारपुर के उर्दू प्राथमिक विद्यालय की स्थिति से समझा जा सकता है. इस स्कूल में कक्षा एक से पांचवीं तक की पढ़ाई होती है. कुल135 बच्चों का नामांकन है. 75 फीसदी से ज्यादा उपस्थिति भी रहती है. लेकिन कमरों की कमी के कारण कमरे के ब्लैक बोर्ड पर लाइन खींचकर तीन भाग में बांटकर एक साथ तीन कक्षा के छात्रों को पढ़ाया जाता है.

जबकि, दूसरे कमरे के ब्लैक बोर्ड पर लाइन खींचकर उसे दो भाग में बांटकर एक साथ दो कक्षा के छात्रों को पढ़ाया जाता है. एक ही कमरे में एक साथ दो से तीन कक्षा के छात्रों को पढ़ाने के कारण किसी को कुछ समझ में नहीं आता है.स्कूल के छात्र धीरज कुमार, गौरी कुमारी, रेशमा परवीन आदि छात्राओं का कहना है कि एक कमरे में तीन-तीन कक्षाओं की पढ़ाई हो रही है. क्योंकि जगह नहीं है. इस कारण से हम लोग ठीक से पढ़ नहीं पा रहे हैं.

समस्या से अवगत हैं अधिकारी
अभिभावक रश्मि ने बताया कि स्कूल में बाउंड्री नहीं होने की वजह से बच्चे कभी भी सड़क पर जा सकते हैं. इस वजह से हम लोग बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं. जबकि, रिंकू देवी ने बताया कि शिक्षकों पर बच्चों की सुरक्षा का रिस्क रहता है. बच्चों को हम विद्यालय नहीं भेजना चाहते हैं. जबकि, विद्यालय के प्रभारी एचएम रंजन कुमार ने बताया कि यहां मात्र दो ही कमरे हैं. इस कारण से ही एक कमरे में दो और एक कमरे में तीन कक्षा के छात्रों को पढ़ाना पड़ता है. वे बताते हैं कि समस्याओं से कई बार वरीय अधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका है.

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