अजब-गजब : यहां है जादुई पत्थर,सर्पदंश का करता है इलाज,ज़हर चूसकर बदलता है रंग

रिपोर्ट- ऋतु राज
मुजफ्फरपुर. सांप का नाम सुनकर ही सिहरन पैदा हो जाती है और वो अगर वो काट ले आदमी जहर से पहले दहशत से ही कई बार मर जाता है. लेकिन बिहार में एक ऐसा अस्पताल है जहां एलोपैथिक इलाज के बजाए एक पत्थर से सर्पदंश के शिकार व्यक्ति का ज़हर उतारा जाता है. लोग इसे जादुई पत्थर कहते हैं.

भारत में हर साल 50 हजार लोग सांप के काटने से मर जाते हैं. सिर्फ 30 फीसदी पीड़ित ही इलाज के लिए अस्पताल पहुंच पाते हैं. इनमें से ज्यादातर मौतें ग्रामीण क्षेत्रों में होती हैं. खासतौर से बारिश शुरू होते ही जून से सितंबर के बीच ऐसी घटनाएं चरम पर होती हैं. सर्पदंश से मौत का आंकड़ा इसलिए भी ज्यादा है कि लोग अज्ञानता वश या तो झाड़ फूंक करने लगते हैं या समय पर इलाज नहीं कराते. बहुत से लोग तो दहशत में ही दम तोड़ देते हैं. अगर समय पर पीड़ित को इलाज मिल जाए, तो उसकी जान बच सकती है. सांप काटने के इलाज के लिए लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध होता है.

जादुई पत्थर
मुजफ्फरपर में प्रभात तारा नाम का एक ऐसा अस्पताल है, जहां पत्थर के टुकड़ों से सांप काटे का इलाज होता है. इस अस्पताल में उत्तर बिहार के दरभंगा, मधुबनी, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, सारण, गोपालगंज, सीवान के अलावा नेपाल से भी लोग इलाज के लिए आते हैं. इस पत्थर के प्रभाव के कारण ही लोग इसे जादुई और रहस्यमयी पत्थर भी कहते हैं. मुजफ्फरपुर के सरकारी अस्पतालों में रोज एक या दो मरीज ही सर्पदंश के बाद एंटी स्नेक वेनम लेने पहुंचते हैं. लेकिन भगवानपुर यादव नगर स्थित सांपकट्टी अस्पताल, जिसे प्रभात तारा अस्पताल कहा जाता है यहां रोज करीब 200 मरीज पहुंचते हैं.

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पत्थर चूस लेता है ज़हर
लोगों का इस अस्पताल या कहें पत्थर पर अटूट विश्वास है. वो कहते हैं चाहें कितने भी जहरीले सांप ने डंसा हो यहां पत्थर सटाते ही चार से पांच घंटे में विष शरीर से बाहर निकल जाता है. पत्थर शरीर के सारे विष को चूस लेता है. कहा जाता है सांप के काटने की जगह पर सटाते ही पत्थर का रंग सफेद हो जाता है. जहर चूसते ही वह काला पड़ जाता है. शरीर से जहर का प्रभाव खत्म होते ही पत्थर स्वयं गिर जाता है. इसके बाद मरीज स्वस्थ हो जाता है.

मरीज को सोने न दें
प्रभात तारा अस्पताल में सर्पदंश से पीड़ित मरीज को सोने नहीं दिया जाता है. जब तक पत्थर शरीर से स्वयं न हट जाए, मरीज से टहलने के लिए कहा जाता है. नींद भगाने के लिए मरीज को कड़वी चाय पिलाई जाती है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद का कहना है सांप के काटने से भारत में सांप के काटने के बाद सिर्फ 30 प्रतिशत पीड़ित ही इलाज के लिए अस्पताल पहुंच पाते हैं. देश में हर साल सर्पदंश से पीड़ित 50 हजार लोगों की जान चली जाती है.

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