दीपक पाण्डेय/खरगोन. राम मंदिर आंदोलन शुरू होने से लेकर रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा तक का सफर काफी लंबा रहा है. इस आंदोलन से जुड़ी कई ऐसी अनसुनी कहानियां हैं जो अब एक-एक कर सामने आ रही हैं. एक ऐसी ही कहानी मध्य प्रदेश के खरगोन के ग्राम चोली के रहने वाले दुर्गाशंकर ठाकुर की है. 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होने वाली है. हर कोई अपने तरीके से महोत्सव मनाने में जुटा है. यह दृश्य देख दुर्गाशंकर ने भी अपनी कारसेवा को याद किया. आज उनकी उम्र 56 साल है और गांव में ही प्राथमिक स्कूल के शिक्षक हैं.
बचपन में सुनी थी राम कहानियां
दुर्गाशंकर ने कहा कि बचपन से ही वह अध्यात्म से जुड़े थे. मां से रामजी की कहानियां सुनकर बड़े हुए हैं. उन दिनों वह कॉलेज के स्टूडेंट थे. रामजी का काम करने का अवसर मिला. खुद को भाग्यशाली मानकर घर में माता-पिता की आज्ञा लेकर अयोध्या के लिए रवाना हो गए. हालांकि 1990 के आंदोलन की खबरें देख पूरा परिवार डरा हुआ था, बहुत रोका भी, लेकिन ठान लिया था की चाहे जो हो जाए, जरूरत पड़ी तो गोली खाएंगे, पर इस बार रामजी का मंदिर मुक्त कराकर ही आएंगे. 30 नवंबर की लगभग 12 बजे अयोध्या पहुंच गए.
सभाओं में यही कहा जाता रहा
लालकृष्ण आडवाणी, साध्वी ऋतंभरा, उमा भारती जैसे कई नेता मंच से हर दिन यही कहते कि यहां जो पुलिस और आर्मी के जवान खड़े हैं, उन्हें जाकर कहना है कि जब वे अपने घर जाएं तो परिवार को बताएं कि निहत्थे कारसेवकों पर गोलियां चलाई थीं. 6 दिसंबर को भी सभा चल रही थी. फोर्स तैनात थी. लेकिन, अचानक कुछ कारसेवक विवादित ढांचे पर चढ़कर उसे तोड़ने लगे. यह देख हर कोई उठकर खड़ा हो गया और देखते ही देखते ढांचा समतल हो गया.
पूरा गांव मनाएगा दिवाली
दुर्गाशंकर ने कहा कि आज लाखों कारसेवकों का सबसे बड़ा सपना साकार हो रहा है, जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी. अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का यह महोत्सव बड़े ही धूमधाम से मना रहे हैं. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए घर-घर न्योता दे रहे हैं. 22 जनवरी को पूरा गांव दिवाली मनाएगा. मिठाइयां बांटी जाएंगी. प्राण-प्रतिष्ठा होने के बाद पूरे परिवार के साथ दर्शन करने भी जाएंगे.
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FIRST PUBLISHED : January 14, 2024, 19:03 IST