अगली बार सावधान रहें, सुप्रीम कोर्ट ने दी चेतावनी, कहा- अखबारों की रिपोर्ट…

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने किसानों के प्रदर्शन से संबंधित मुद्दे को “गंभीर” करार देते हुए सोमवार को एक याचिकाकर्ता से कहा कि वह केवल प्रचार पाने के लिए अखबारों की रिपोर्ट के आधार पर याचिका दायर करने से बचें.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने ‘सिख चैंबर ऑफ कॉमर्स’ के प्रबंध निदेशक एवं याचिकाकर्ता एग्नोस्टोस थियोस को अपनी उस याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी, जिसमें केंद्र और कुछ राज्यों द्वारा ‘शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे’ किसानों के अधिकारों के हनन का आरोप लगाया गया था.

सुनवाई की शुरुआत में ही थियोस के वकील ने याचिका वापस लेने का अनुरोध किया, जिन्होंने कहा कि वह याचिका में संशोधन करना चाहते हैं. न्यायमूर्ति कांत ने वकील से कहा, “ये बहुत गंभीर मुद्दे हैं. केवल प्रचार के लिए अखबारों की रिपोर्ट के आधार पर ऐसी याचिकाएं दायर नहीं करें. केवल उन व्यक्तियों को ये याचिकाएं दायर करनी चाहिए जो गंभीर और प्रतिबद्ध हैं. यदि आपने अखबारों की रिपोर्ट देखी हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि उच्च न्यायालय मामले से अवगत है.”

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को पता होना चाहिए कि उच्च न्यायालय पहले ही इस मुद्दे पर कुछ निर्देश पारित कर चुका है. पीठ ने वकील से कहा, “अगली बार सावधान रहें. अपना खुद का शोध करें, ये जटिल मुद्दे हैं.”

किसान नेताओं ने 10 मार्च को ‘रेल रोको’ का आह्वान किया
दूसरी ओर, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर रविवार को देशभर के किसानों से विरोध प्रदर्शन के लिए छह मार्च को दिल्ली पहुंचने का आह्वान किया, जबकि उन्होंने मांगों के समर्थन में 10 मार्च को चार घंटे के देशव्यापी ‘रेल रोको’ अभियान का भी आह्वान किया. दोनों किसान नेताओं ने कहा कि मौजूदा प्रदर्शन स्थलों पर किसानों का आंदोलन तेज किया जाएगा और तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार उनकी मांगें पूरी नहीं कर लेती.

दोनों किसान नेता पंजाब-हरियाणा की सीमा पर स्थित खनौरी ‘बॉर्डर’ पर 21 फरवरी को पुलिस के साथ झड़प के दौरान मारे गए किसान शुभकरण के बठिंडा जिले में स्थित उनके पैतृक गांव बलोह में संबोधित कर रहे थे. किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) सरकार पर अपनी मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के लिए ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व कर रहा है. इसमें शामिल किसान केंद्र से फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, कृषि ऋण माफी सहित विभिन्न मांग कर रहे हैं.

Tags: Farmers movement, Farmers Protest, Kisan Andolan, Supreme Court

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