शशिकांत ओझा/पलामू. प्रकृति ने हमे एक से बढ़कर एक धरोहर से नवाजा है. जिसकी सुंदरता के कायल सभी हो जाते है. प्राकृतिक धरोहर जंगल, पहाड़, झरना के सौंदर्य और महत्व का जिक्र धार्मिक ग्रंथों में भी होता है. जिसका धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण बहुत महत्व रखता है. अक्सर अक्टूबर के महीने में आपने नदी, नालों, तालाबों के किनारे सफेद चादर सा खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है.जो की इस बात के संकेत देता है कि अब वर्षा नहीं होगी. इसे क्लाइमेट इंडिकेटर भी कहा जाता है.जिसकी चर्चा रामचरित मानस में तुलसीदास जी ने भी किया है.
अंग्रेजी महीने के अनुसार सितंबर और हिंदी का भाद्रपद का महीना चल रहा है. झारखंड राज्य के अलग अलग क्षेत्रों में कास के फूल लहलहाने लगे है.अमूमन ये फूल अक्टूबर महीने में खिलते थे.लेकिन सितंबर महीने में इस फूल का खिलना इस बात का संकेत देता है की अब वर्षा नहीं होगी. झारखंड में अबतक सामान्य से 33% कम वर्षा हुई है. जो की किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गई है .हालाकि अब भी किसानों को आस है की वर्षा हो सकती है. लेकिन कास के फूल खिलने से लोगों के जहन में अब वर्षा नहीं होने का चिंता सताने लगा है. वर्ष 2022 झारखंड सुखाड़ से जूझ रहा है.वहीं वर्ष 2023 में 920 मिली मीटर के जगह 614 मिली मीटर ही वर्षा हुई है.
क्लाइमेट इंडिकेटर है कास का फूल
पर्यावरणविद डॉ. डी एस श्रीवास्तव ने लोकल18 को बताया की कास का फूल क्लाइमेट इंडिकेटर होता है. कास का फूल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहुत उपयोगी माना जाता है.यह पौधा सैक्रम प्रजाति का पौधा है. नदी नालों के किनारे जहां बालू और मिट्टी का मेल होता है. वहां कास सबसे अधिक पैदा होता है. जो की मिट्टी को बांधने का काम करता है. इसके नर्म पत्ते को जानवर भी खाते है. इसकी लंबाई 3 फिट से 7 फिट तक होती है. यह पौधा जलवायु परिवर्तन के लिए भी उपयोगी होता है. अमूमन ये फूल अक्टूबर महीने में खिलते है. मगर अब ये सितंबर महीने में खिल रहे है. जिससे सावधान रहने की जरूरत है. पलामू में अब तक बहुत कम वर्षा हुई है.जिससे हमे सुखा से निपटने के लिए तैयारी करने की जरूरत है.
रामचरित मानस में भी है जिक्र
शिक्षाविद परशुराम तिवारी बताते है कि रामचरित मानस में तुलसी दास जी ने इस फूल का जिक्र किया है. एक चौपाई के माध्यम से यह बताया है कि राम लक्ष्मण संवाद में प्रभु श्री राम वर्षा ऋतु के गमन और शरद ऋतु के आगमन के बारे में बताते हुए कहते है की ‘फुले कास सकल मही छाई, जनी बरसात प्रकट बुढ़ाई’. जिसका अर्थ है की जिस प्रकार किसी व्यक्ति के सफेद बाल को देखकर हम मानते है की वह वृद्ध हो गया है. उसी प्रकार कास के फूल खिलने के बाद बरसात वृद्ध हो जाती है. अब वर्षा होने का कोई आस नही है.आने वाली पीढ़ी को इसका महत्व समझना होगा.हमलोग को अब चेतने की जरूरत है.आने वाली पीढ़ी के लिए पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है.
कास के फूल का उपयोग
पर्यावरणविद बताए है की इसका व्यावसायिक महत्व भी है.लोग इसकी झाड़ू बना कर उपयोग करते है. इस झाड़ू का बड़े पैमाने पर व्यवसाय भी होता है.वहीं कास के फूल को लोग घर छाने के काम में भी लाते है. उन्होंने बताया की आदिवासी समाज के लोग भादो महीने में करमा पूजा इसी पौधे का करते है.वहीं बंगाल में इस फूल के खिलने के बाद हीं नवरात्रि मनाया जाता है. नवरात्रि में इसके फूल के बने सामग्री की भी डिमांड होती है.
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FIRST PUBLISHED : September 16, 2023, 14:35 IST