अगर जानना है कर्ण के अंग प्रदेश को तो आएं यहां… एक-एक चित्र बताएगा इतिहास 

सत्यम कुमार/भागलपुर. भागलपुर अंग प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है. इसकी लोककला मंजूषा है. मंजूषा की कहानी बिहुला विषहरी पर आधारित है. लेकिन मंजूषा कला को आगे बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. इसको आगे बढ़ाने के लिए अब सर्किट हाउस में मंजूषा के जरिए अंग प्रदेश का चित्रण किया जा रहा है. मंजूषा चित्र तैयार कर रहे अमन सागर से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि सभी जिले के सर्किट हाउस में वहां की लोककला देखने को मिलती है. लेकिन भागलपुर के लोक कला सर्किट हाउस में नहीं थी. अभी हाल ही में सर्किट हाउस बना कर तैयार किया गया है. जिसमें यह लोक कला उकेरी जा रही है.

इससे पूर्व में भी विक्रमशिला ट्रेन पर मंजूषा कला को उकेरी गई है. मंजूषा कलाकार अमन सागर ने एक ही चित्र में अंगराज कर्ण, अंग प्रदेश की धरोहर विक्रमशिला विश्वविद्यालय, भागलपुर गांगेय डॉल्फिन, बिहुला विषहरी सहित कई चीजों का चित्रण किया है. उन्होंने बताया कि यहां पर एक आईएएस अधिकारी श्वेता कुमारी आई थी. मंजूषा कला के बारे में जानने का प्रयास किया. इसके बाद उन्होंने बताया कि अगर इस पर मंजूषा की आकृति को उकेरी जाए तो बाहर से आने वाले गणमान्य भी इस चीज को जान पाएंगे. अपने भागलपुर के धरोहर को भी चित्र के माध्यम से समझ पाएंगे. तभी यहां के जिला प्रशासन के द्वारा इसको संज्ञान में लेते हुए और मंजूषा कला को विकसित किया गया.

कला को विकसित करने के लिए उठाया ये कदम
कभी यहां पर विक्रमशिला विश्वविद्यालय हुआ करता था. जिसमें सिर्फ अपने देश के ही नहीं विदेश के छात्र भी पढ़ाई करने पहुंचते थे. यहां पर तंत्र विद्या सिखाई जाती थी. इसके साथ ही कई तरह की शिक्षा दी जाती थी. वही, अंगराज कर्ण ने अपने जीवन काल में किन-किन चीजों को किया है. उसका भी वर्णन इस चित्र के माध्यम से किया जाएगा. साथ ही आपको बता दें कि भारत का सर्वश्रेष्ठ गांगेय डॉल्फिन क्षेत्र भागलपुर का गंगा है. जहां पर काफी संख्या में डॉल्फिन पाए जाते हैं. जिसको संरक्षण करने के लिए लगातार सरकार प्रयाश्रत है. उसको भी मंजूषा के माध्यम से दीवाल पर उकेरा जा रहा है.

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