अगर कर रही हैं जितिया व्रत तो इन बातों का रखें ख्याल, जानें पूजन का तरीका और सामग्री

परमजीत कुमार/ देवघर. आज गुरुवार से जितिया पर्व की शुरुआत हो चुकी है. तीन दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान में पहला दिन नहाय खाय होता है. कल शुक्रवार को व्रती निर्जला उपवास करेंगी. करीब 28 घंटे के व्रत के बाद शनिवार की सुबह पारण किया जाएगा. पवित्रता के मामले में इस पर्व का तुलना छठ पर्व से किया जाता है. जितिया पर्व को काफी नियम धर्म से करना होता है. नहीं तो व्रत का फल नहीं मिलता है. आइये देवघर के ज्योतिषी से जानते हैं जितिया व्रत का सही नियम…

देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य एवं बैद्यनाथ मंदिर के तीर्थरोहित प्रमोद श्रृंगारी ने लोकेल 18 को बताया कि इस साल जितिया व्रत की शुरुआत 05 अक्टूबर से हुई है. जो 07 अक्टूबर तक चलने वाला है. 05 अक्टूबर को नहाए खाए हैं. 06 अक्टूबर को व्रत रखा जाएगा और 07 अक्टूबर को जितिया व्रत का पारण होगा. कई महिलाएं जितिया व्रत फल जल ग्रहण करके करती है तो कई निर्जला उपवास करती है. हालांकि जितिया में निर्जला व्रत का ही महत्व है.

जितिया व्रत का सही तरीका
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जितिया के नहाय खाए के दिन व्रतियों को बिना लहसन-प्याज के बने भोजन ग्रहण करना चाहिए. वहीं अष्टमी तिथि शुरू होने के साथ व्रत शुरू हो जाता है. उस दिन जीमुतवाहन की पूजा जाती है. पूजा के दौरान सरसों का तेल और खल्ली चढ़ाना ना भूलें. वहीं पारण करने के बाद वह तेल बच्चों के सिर पर लगाया जाता है. वहीं व्रत के दौरान मन बिल्कुल सात्विक होना चाहिए और अगर निर्जला व्रत का संकल्प ले लेते हैं तो भूल कर भी जल ग्रहण न करें. इसे अशुभ प्रभाव पड़ता है. अगले दिन पारण गाय के घी के साथ करना चाहिए. इससे जितिया पर्व का व्रत शुभ माना जाता है.

क्या है पूजा विधि
व्रत के दिन सूर्योदय से पहले भोजन व जल ग्रहण कर लें. उसके बाद स्नान कर लें. स्नान करने के बाद सूर्य भगवान को अर्ध्य दें. व्रत के दिन पूजा पाठ का विधान है इसके साथ ही व्रती कथा भी सुनना चाहिए. व्रत के दौरान जल भी ग्रहण ना करें. अगले दिन अष्टमी तिथि समाप्त हो जाने के बाद स्नान कर सूर्य भगवान को अर्ध्य देकर ही पारण करें.

क्या है पूजन सामग्री
जितिया व्रत में भगवान जीमुतवाहन और गाय के गोबर से बने चील और सियारिन की पूजा का विधान है. जितिया व्रत में खड़ा अक्षत, पेड़ा, धुर्वा का माला, पान, लौंग, इलायची, पूजा की सुपारी, श्रृंगार का सामान, सिंदूर, पुष्प, गांठ का धागा,कुशा से बनी जीमुतवाहन की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, सरसों का तेल, खल्ली, गाय के गोबर की जरूत होती है.

जितिया व्रत का समय:
6 अक्टूबर की सुबह 4 बजे से अष्टमी तिथि प्रारंभ हो रही है. इसके साथ ही व्रति का निर्जला व्रत प्रारंभ हो जाएगा और अगले दिन यानी 07 अक्टूबर सुबह 10 बजकर 20 मिनट तक व्रत में रहेगी. महिलाएं 7 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 36 मिनट में पारण करें. इस साल जितिया का व्रत कुल 28 घंटे का रहने वाला है.

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