अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ के नीचे करें भोजन, माता लक्ष्मी होंगी प्रसन्न

अनूप पासवान/कोरबा: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर अक्षय नवमी मनाई जाती है, जिसे छत्तीसगढ़ में आंवला नवमी के नाम से भी जानते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. अक्षय नवमी पर किए गए कार्यों से व्यक्ति को अक्षय फलों की प्राप्ति होती है. इस पर्व के महत्व और मनाने का सही तरीका को जानने के लिए हमने ज्योतिष आचार्य पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी से बातचीत की.

पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी ने बताया कि अक्षय का अर्थ है अमर, यानी जिसका कभी क्षय नहीं होता है. इस दिन को सभी प्रकार के दान-पुण्य कार्यों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा के दिन तक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं. इसी कारण अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी ने आगे बताया कि इस दिन विधि-विधान से व्रत कर आंवले के पेड़ के नीचे किसी ब्राह्मण को बैठा कर कराया गया भोजन हजारों गुना फलदाई होता है. वहीं व्यक्ति खुद, इस दिन आंवले के पेड़ नीचे बैठकर भोजन ग्रहण करता है तो उसे स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.

अक्षय नवमी शुभ मुहूर्त
कार्तिक नवमी के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 21 नवंबर, 2023 को प्रातः 03 बजकर 16 मिनट पर प्रारम्भ हो रही है और इसका समापन 22 नवंबर को रात्रि 01 बजकर 09 मिनट पर होगा. इसलिए, अक्षय नवमी 21 नवंबर, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी.

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