अभय विशाल/छपरा. हिंदी में एक कहावत है, जहां चाह वहां राह… इसे बिहार के रहने वाले नूर अजीज ने चरितार्थ कर दिखाया है. छपरा के जेपी यूनिवर्सिटी से एमएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद इस लड़के ने चार साल पहले गांव में ही अंडा उत्पादन के लिए मुर्गी पालन का काम शुरू किया. हालांकि यह काम इतना आसान भी नहीं था. नूर अजीज ने बताया कि कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन दिल में एक जुनून था कि इस उद्योग को शुरू करके ही रहेंगे. धीरे-धीरे बिजनेस चल निकला. पहले उनके फार्म में उत्पादित अंडे लोकल बाजारों में ही बिकते थे और अब उनके अंडे की दूसरे जिलों में भी सप्लाई हो रही है.
नूर अजीज ने बताया कि इस बार अंडा उत्पादन के लिए 8500 मुर्गियों का पालन किया है. मुर्गियों को अंडा देने के लिए तैयार होने में चार महीने का वक्त लगता है. एक बार मुर्गी अंडा देना शुरू कर से तो वो अगले 18 महीने तक प्रतिदिन एक अंडा देती है. साथ ही बताया कि ऐसे में प्रतिदिन आठ हजार से अधिक अंडे का उत्पादन हो जाता है. जब मुर्गी अंडा देना बंद कर देती है, तो उसे हटा दिया जाता है. उसकी जगह पर नए मुर्गियों को अंडा देने के लिए लाया जाता है. अंडा उत्पादन का यह सिलसिला लगातार जारी रहता है.
सालाना 10 लाख की हो जाती है कमाई
नूर अजीज ने बताया कि फार्म से उत्पादित अंडे का दूसरे जिलों में भी सप्लाई होती है, इसलिए मुर्गियों की देख-रेख और अंडा उत्पादन से लेकर सप्लाई तक का जिम्मा एक व्यक्ति के बस की बात नहीं है. इसी वजह से गांव के कई लोगों को काम पर रखा है. नूर बताते हैं कि वो सिर्फ ट्रेडर्स को ही अंडे की सप्लाई देते हैं और खुदरा अंडे की बिक्री नहीं करते हैं. ठंड के मौसम में अंडे की डिमांड दोगुना हो जाती है. साथ ही बताया कि अंडे के उत्पादन के लिए 8500 मुर्गियों के पालन में प्रतिदिन 20 हजार रुपये खर्च आता है. अंडे की बात करें, तो प्रतिदिन 21 हजार से लेकर 23 हजार तक अंडे बिक जाते हैं. शेयर मार्केट के तरह ही प्रतिदिन अंडे का अलग-अलग रेट होता है. नूर अजीत के मुताबिक, सालाना टर्नओवर लगभग 75 लाख रुपये का है. जबकि सब खर्चे निकालकर 10 लाख रुपये की कमाई हो जाती है.
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FIRST PUBLISHED : November 14, 2023, 12:29 IST