अंग्रेजों ने उत्तराखंड के इस शहर को दिया था ‘छोटी विलायत’ का दर्जा, पहाड़ी शहर में मौजूद हैं 18 चर्च

तनुज पाण्डे/ नैनीताल. उत्तराखंड का नैनीताल अपनी सुंदर नैनी झील के लिए काफी प्रसिद्ध है. इस सुंदर झील की वजह से इसे सरोवर नगरी भी कहा जाता है, लेकिन यहां स्थित चर्च की संख्या को देखते हुए इसे “चर्चों का शहर” भी कहा जाता है. यहां लगभग 18 छोटे-बड़े चर्च मौजूद हैं. यकीनन यहां काफी ऐतिहासिक और ब्रिटिशकालीन चर्च भी हैं, जिस वजह से क्रिसमस के मौके पर इस शहर में खूब रौनक रहती है. प्राकृतिक खूबसूरती के साथ ही नैनीताल में करीब 6 मुख्य चर्च और लगभग एक दर्जन छोटे चर्च मौजूद हैं.

कुमाऊं का यह शहर ईसाई धर्म का केंद्र रहा है. अंग्रेजों को नैनीताल शहर से काफी लगाव था. वह इस शहर की तुलना यूरोपीय देश के शहरों से करते थे. इस वजह से उन्होंने नैनीताल शहर को “छोटी विलायत” का दर्जा दिया था. शायद यही कारण है कि अंग्रेजों ने मेथोडिस्ट चर्च की पहली नींव नैनीताल में रखी.

नैनीताल में क्यों हुई चर्च की स्थापना
नैनीताल के जाने-माने इतिहासकार प्रोफेसर अजय रावत बताते हैं कि आजादी से पहले नैनीताल अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी. यहां सेक्रेटेरिएट साल के 6 महीना रहती थी और 6 महीना लखनऊ रहा करती थी. उस समय जब पूरी सेक्रेटेरिएट यहां आती थी, तो अंग्रेज कर्मचारी और अधिकारी भी नैनीताल आते थे. उस जमाने में काफी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट भी नैनीताल में बनाए गए थे, जिस वजह से यहां की जनसंख्या भी काफी बढ़ चुकी थी. उस जमाने में यहां आए अंग्रेजों को यहां उपासना के लिए धार्मिक स्थल (चर्च) की जरूरत महसूस हुई, जिस वजह से अंग्रेजों ने यहां कई चर्च का निर्माण करवाया.

यहां है जिम कार्बेट के माता-पिता की कब्र
प्रोफेसर अजय रावत बताते हैं कि सन् 1848 में अग्रेजों ने उत्तराखंड के नैनीताल में पहला प्रोटेस्टेंट चर्च बनवाया था, जो आज नैनीताल के सूखाताल में स्थित है. सेंट जॉन इन द वाइल्डरनेस चर्च (St John in the Wilderness ) के नाम से जाना जाने वाला ये कुमाऊं का पहला चर्च था. पहले ये पब्लिक चर्च था, बाद में इसे ब्रिटिश सरकार ने अपने अधीन ले लिया था. प्रोफेसर रावत बताते हैं कि इस चर्च के साथ ही कुमाऊं में ईसाई धर्म का इतिहास प्रारंभ होता है. इस चर्च के पास स्थित कब्रिस्तान में प्रसिद्ध शिकारी जिम कॉर्बेट के माता पिता की कब्र भी हैं. इस चर्च में 18 सितंबर 1880 में नैनीताल के भूस्खलन में मारे गए लोगों की याद में हर साल 18 सितंबर के दिन विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है. साथ ही प्रथम विश्वयुद्ध में मारे गए आयरिश अफसरों के लिए भी यहां प्रार्थना की जाती है.

1858 में बना था भारत का पहला मेथोडिस्ट चर्च
सन् 1858 में नैनीताल के मल्ली ताल रिक्शा स्टैंड के समीप अमेरिका निवासी मेथोडिस्ट प्रीस्ट विलियम बटलर ने मेथोडिस्ट चर्च (Methodist Church) की नींव रखी थी. इसके साथ ही ये भारत का सबसे पहला मेथोडिस्ट चर्च बन गया. प्रोफेसर रावत बताते हैं कि सन् 1857 में विलियम बटलर नैनीताल आए और उन्होंने सीआरएसटी स्कूल के नीचे 7 एकड़ भूमि खरीदी थी और इस भूमि में भारत के पहले मेथोडिस्ट चर्च का निर्माण करवाया था. इस चर्च के निर्माण के लिए तत्कालीन कुमाऊं के सबसे लोकप्रीय कमिश्नर हेनरी रैमजे ने उन्हें सहयोग प्रदान किया था. हैनरी रैमजे मेथोडिस्ट धर्म के अनुयायी थे.

‘लेक चर्च’ के नाम से मशहूर है कैथलिक चर्च
नैनीताल के तल्लीताल जू रोड के समीप सेंट फ्रांसिस कैथोलिक चर्च (St. Francis Catholic Church) स्थित है. इस कैथोलिक चर्च की स्थापना सन् 1868 में हुई थी. कैथोलिक धर्म के अनुयाइयों ने इस चर्च का निर्माण करवाया था. कैथोलिक धर्म में पर्यावरण को बेहद महत्व दिया जाता है. निर्माण होने के बाद ये चर्च काफी छोटा था, सन् 1909 में इस चर्च के परिसर को और बड़ा बनाया गया. आज ये चर्च नैनीताल के तल्लीताल में माल रोड के किनारे स्थित है. इसे ‘लेक चर्च’ के नाम से भी जाना जाता है.

यहां है सेंट फ्रांसिस होम कैथोलिक चर्च
नैनीताल के राजभवन के पास 19वीं शताब्दी में सेंट फ्रांसिस होम कैथोलिक चर्च (St. Francis Home Catholic Church) की स्थापना की गई. सेंट फ्रांसिस होम चर्च और रिट्रीट दोनों है. कैथोलिक धर्म के पुजारी अथवा फादर ईश्वर का मनन करने यहां आते हैं और यहां रहकर धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न करते हैं. इसके लिए बाकायदा कैथोलिक चर्च के धर्मगुरु छुट्टी लेकर यहां कई दिनों तक रहने आते हैं. इस वजह से ही इसका नाम सेंट फ्रांसिस होम है.

सेंट निकोलस चर्च नैनीताल
सन् 1890 में राजभवन के पास सेंट निकोलस चर्च (St. Nicholas Church) की स्थापना की गई थी. राजभवन के पास में ही लड़कियों के लिए ऑल सेंट्स कॉलेज और लड़कों के लिए शेरवुड कॉलेज की स्थापना हो चुकी थी. जिस वजह से इन विद्यालयों में पढ़ने वाले प्रोटेस्टेंट धर्म के छात्रों के लिए राजभवन के पास सेंट निकोलस चर्च की स्थापना की गई. आज भी इस चर्च में इन विद्यालयों में पढ़ने वाले प्रोटेस्टेंट धर्म के बच्चे प्रार्थना करने आते हैं.

नैनीताल में एक दर्जन से ज्यादा चैपल
प्रोफेसर अजय रावत बताते हैं कि नैनीताल के स्कूलों में भी उनके निजी चर्च स्थित हैं, जिन्हें चैपल कहा जाता है. नैनीताल के सेंट मैरी कॉन्वेंट, सेंट जोसेफ, शेरवुड कॉलेज, ऑल सेंट्स कॉलेज के अलावा सेंट फ्रांसिस होम में छोटे चर्च (चैपल) स्थित हैं. इसके अलावा नैनीताल और इसके आसपास एक दर्जन से भी अधिक छोटे बड़े चर्च स्थित हैं.

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