सोनिया मिश्रा/चमोली. उत्तराखंड का सीमांत चमोली जिला अपने अति दुर्गम क्षेत्र के लिए मशहूर है, लेकिन यह क्षेत्र ट्राउट फिश को खूब भा रहा है. साथ ही इसका पूरा फायदा जिले के युवाओं को मिल रहा है. युवा मछली पालन को स्वरोजगार का जरिया बना रहे हैं. ट्राउट मछली का उत्पादन लगभग 4000 फीट की ऊंचाई के क्षेत्रों में होता है. चमोली जिले की जलवायु मत्स्य पालन के लिए मुफीद है. यहां मौजूदा समय में 500 से अधिक किसान मत्स्य पालन से जुड़े हुए हैं, जिससे यहां मत्स्य पालन का कारोबार खूब फल-फूल रहा है.
ट्राउट मछली ठंडे पानी की मछली है. जिसमें अन्य मछलियों की अपेक्षा ओमेगा 3 अधिक मात्रा में होता है. जिससे यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है. दिल के मरीजों और कैंसर जैसी बीमारियों के खिलाफ इस मछली का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है. जिन लोगों में खून की कमी है, उन्हें भी ट्राउट मछली खाने की सलाह दी जाती है. इसमें फैटी एसिड नामक तत्व होता है.जो हमारे शरीर के लिए बहुत लाभकारी है. साथ ही स्वाद में भी यह बेहद लाजवाब होती है. जिससे यह सभी की पसंदीदा भी बन जाती है.
500 लोगों को मिला रोजगार
मत्स्य अधिकारी जगदम्बा राज बताते हैं कि ट्राउट फिश फार्मिंग के लिए चमोली का वातारण काफी अच्छा है. जिस कारण यहां इस मछली की अच्छी पैदावार हो रही है. जिले में अभी तक लगभग 500 लोग मछली पालन कर रहे हैं. जिससे ग्रामीण स्वरोजगार से भी जुड़ रहे हैं. साथ ही वह बताते हैं कि वर्तमान में उत्तराखंड के सभी जिलों में चमोली जिले से ही ट्राउट के बीज वितरित किए जा रहे हैं. पिछले वर्षों की बात की जाए, तो तलवाड़ी और बैरागना फिश फार्म से साढ़े पांच लाख सीड का उत्पादन हुआ था.जिससे जिले को लगभग 30 लाख रुपये की आय हुई.
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FIRST PUBLISHED : October 9, 2023, 14:08 IST