हाईकोर्ट ने पूछा: मच्छर जनित बीमारियों से निपटने के लिए क्या है इंतजाम, बताए सरकार

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– फोटो : Amar ujala

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मच्छर जनित बीमारियों के नियंत्रण के बारे में यूपी सरकार से जानकारी मांगी है। कोर्ट ने पूछा है कि मच्छरों के नियंत्रण के लिए क्या-क्या उपाय किए गए हैं। कोर्ट ने इस संबंध में पूरी जानकारी मांगी है। स्वत: संज्ञान ली गई जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए जनवरी को तय की है।

 

इसके पहले सुनवाई शुरू होते हुए ही न्यायमित्र सुजीत कुमार की ओर से एक हलफनामा प्रस्तुत करते हुए बताया गया कि यूपी सरकार की ओर से केंद्र सरकार को 31 अक्तूबर 2022 को रिपोर्ट भेजकर केवल एक मौत की जानकारी दी गई है। इसलिए केंद्र सरकार की ओर से इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस पर कोर्ट ने सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट पर कहा कि सात मौते हुई हैं।

 

 

न्यायमित्र की ओर से कहा गया कि 2016 में एक याचिका दाखिल हुई थी, उसी समय एक नियम लागू किया गया। जिसमें डेंगू, चिकनगुनिया, चिकनपाक्स, कालाजार की रोकथा और उपचार के लिए व्यवस्था बनाई गई लेकिन उसका पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता से पूछा कि 2016 में जारी किए गए नियम के मुताबिक क्या कार्रवाई की गई।

 

 

कोर्ट ने मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में फायर फाइटिंग टैंकों में भरे पानी में मच्छर रोकने केलिए क्या उपाय किए गए हैं। इसकी योजना और बारिश के दौरान और बारिश के बाद मच्छर जनित बीमारियों के रोकने के क्या-क्या उपाय किए गए हैं। जानकारी मांगी है। सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बहस की। 

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मच्छर जनित बीमारियों के नियंत्रण के बारे में यूपी सरकार से जानकारी मांगी है। कोर्ट ने पूछा है कि मच्छरों के नियंत्रण के लिए क्या-क्या उपाय किए गए हैं। कोर्ट ने इस संबंध में पूरी जानकारी मांगी है। स्वत: संज्ञान ली गई जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए जनवरी को तय की है।

 


इसके पहले सुनवाई शुरू होते हुए ही न्यायमित्र सुजीत कुमार की ओर से एक हलफनामा प्रस्तुत करते हुए बताया गया कि यूपी सरकार की ओर से केंद्र सरकार को 31 अक्तूबर 2022 को रिपोर्ट भेजकर केवल एक मौत की जानकारी दी गई है। इसलिए केंद्र सरकार की ओर से इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस पर कोर्ट ने सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट पर कहा कि सात मौते हुई हैं।

 

 

न्यायमित्र की ओर से कहा गया कि 2016 में एक याचिका दाखिल हुई थी, उसी समय एक नियम लागू किया गया। जिसमें डेंगू, चिकनगुनिया, चिकनपाक्स, कालाजार की रोकथा और उपचार के लिए व्यवस्था बनाई गई लेकिन उसका पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता से पूछा कि 2016 में जारी किए गए नियम के मुताबिक क्या कार्रवाई की गई।

 

 

कोर्ट ने मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में फायर फाइटिंग टैंकों में भरे पानी में मच्छर रोकने केलिए क्या उपाय किए गए हैं। इसकी योजना और बारिश के दौरान और बारिश के बाद मच्छर जनित बीमारियों के रोकने के क्या-क्या उपाय किए गए हैं। जानकारी मांगी है। सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बहस की। 



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