सवाल: लाडली बहना योजना का खूब प्रचार हो रहा है, चुनाव में क्या यह बड़ा फैक्टर होगा?
जवाब: महिला सशक्तिकरण का काम हमने कोई आज नहीं शुरू किया। पहली बार जब मैं सीएम बना था, तब हम लाडली लक्ष्मी योजना लेकर आए थे 2006 में। तब सेक्स रेश्यो बहुत गड़बड़ था। 1000 बेटों पर 912 बेटियां पैदा होती थीं। बेटियां कोख में मारी जाने लगी थीं और उन्हें बोझ समझा जाता था। यह तकलीफ हमने बचपन से देखी थी। तब से मन में टीस थी कि कुछ होना चाहिए। जैसे ही हम इस स्थिति में पहुंचे कि कुछ कर सकते हैं तो हमने लाडली लक्ष्मी योजना बनाकर तय कर लिया कि मध्यप्रदेश की धरती पर बेटी लखपति होगी। लोग बेटी की शादी को बोझ मानते हैं तो हमने कन्या विवाह योजना बनाई। आज 46 लाख बेटियां लाडली लक्ष्मी हैं। उसी श्रृंखला में है लाडली बहना योजना।
सवाल: दूसरी पार्टियों पर BJP आरोप लगाती है कि चुनाव जीतने के लिए वे रेवड़ी पॉलिटिक्स कर रही हैं। आप भी तो ऐसी ही योजनाएं लाते हैं। इसमें अंतर कैसे देखते हैं?
जवाब: यह रेवड़ी नहीं है। महिला सशक्तीकरण रेवड़ी नहीं है। पहले 1000 बेटों पर 912 बेटियां पैदा होती थीं, आज 956 बेटियां पैदा हो रही हैं। मैं वह दिन देखना चाहता हूं, जहां 1000 बेटों पर 1000 बेटियां हों। यह सामाजिक क्रांति है। क्या धरती के संसाधन औरतों के लिए नहीं हैं? क्या पुरुष ही राज करेंगे? क्या महिलाओं का कोई अधिकार नहीं है? वह अधिकार हमने उन्हें दिया है। हमने एक MoU साइन किया है कि टोल टैक्स महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप चलाएंगी। एक लाख रुपये वसूलेंगे तो सीधे 30 हजार रुपये उन्हें मिलेगा। 15 लाख दीदियां मध्य प्रदेश में लखपति बन चुकी हैं। मेरा कमिटमेंट है कि एक महिला की कम से कम 10 हजार रुपये आमदनी होनी चाहिए, घर का कामकाज करते हुए। जब तक सही अर्थों में महिला सशक्तिकरण नहीं हो जाता, हम इस तरह की मदद करते रहेंगे।
सवाल: पिछली सरकार में भी आपकी कई योजनाएं थीं। कहा जाता था कि जन्म से मृत्यु तक सबके लिए स्कीम है, फिर भी आपको बहुमत नहीं मिला। अब किन वजहों से जीत की उम्मीद कर रहे हैं?
जवाब: आप खुद लोगों से बात करके देखिए। पिछली बार कर्ज माफी (कांग्रेस का वादा) और दूसरी चीजों का कुछ असर रहा था। वोट हमें ज्यादा मिला था लेकिन सीटों में हम कम रह गए थे। कुछ परिस्थितियां थीं, जिनमें एक कर्ज माफी थी, फ्री बिजली और कई चीजें थीं।
सवाल: पिछली बार आशीर्वाद यात्रा आपने लीड की थी। अब कलेक्टिव लीडरशिप की बात हो रही है..
जवाब: क्यों नहीं होनी चाहिए कलेक्टिव लीडरशिप? यूपी में कलेक्टिव लीडरशिप थी। पांच यात्रा निकली थी। इसमें बुराई क्या है?
सवाल: सीएम फेस को लेकर लोगों को कन्फ्यूजन तो नहीं होगा कि कौन है?
जवाब: हम इसकी परवाह ही नहीं करते कि कौन क्या है। हमारा काम है लोगों की सेवा करना और पार्टी के अनुशासित कार्यकर्ता के नाते जो ड्यूटी दी जाए, उसे पूरा करना। इसके न दाएं देखते हैं, ना बाएं देखते हैं।
सवाल: आपकी इमेज एक सॉफ्ट नेता की थी, लेकिन अचानक से बुलडोजर पॉलिटिक्स…
जवाब: पहले मध्य प्रदेश में डकैत होते थे। ‘चंबल की कसम’ जैसी फिल्में बनती थीं। खड़े-खड़े गोलियों से भून देते थे। पांच बजे के बाद लोग निकलते नहीं थे। मैंने आते ही कहा कि मध्य प्रदेश में या तो डाकू रहेंगे या शिवराज। छह महीने के भीतर सारे डकैत खत्म हो गए या आत्मसमर्पण कर दिया। सॉफ्ट हम जनता के साथ हैं। हमने तब डकैत खत्म किए, सिमी नेटवर्क को ध्वस्त किया। कांग्रेस के राज में नक्सलवादी सिटिंग मिनिस्टर की गर्दन काट ले गए थे। हमने नक्सलवाद खत्म किया। जहां सख्त कार्रवाई जरूरी है, हमने सख्त कार्रवाई की। मैं कहता हूं कि सज्जनों के लिए फूल से ज्यादा कोमल, दुष्टों के लिए बज्र से ज्यादा कठोर। अगर कोई मासूम बिटिया के साथ दुराचार करेगा तो क्या हम उसे छोड़ देंगे? ऐसे दुष्ट भी हैं जो एक बार ऐसी हरकत करके जेल से छूटकर फिर वैसा ही करते हैं। हमने कहा, तोड़ो इनको। जब तक आर्थिक रूप से नहीं तोड़ेंगे, तब तक सही नहीं होंगे। इसलिए हमने कठोरतम दंड देने की कोशिश की है।
सवाल: कांग्रेस भी सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ झुकी है, इसे कैसे देखते हैं?
जवाब: बहुत बड़ा परिवर्तन भारत की राजनीति में हुआ है। हिंदू कहना पहले संकीर्ण, सांप्रदायिक समझा जाता था। भगवान राम को कई लोग काल्पनिक बताते थे, राम सेतु का मजाक उड़ाते थे। मैं प्रधानमंत्री को यह श्रेय दूंगा कि उन्होंने भारतीय राजनीति का अजेंडा बदल दिया। हमारी परंपराएं, हमारी संस्कृति, हमारे जीवन मूल्य, हमारे महापुरुष, हमारी श्रद्धा और आस्था को देश के केंद्र में ला दिया। कौन पहले गीता की प्रति भेंट करता था? योग को पूरे विश्व में फैलाने का काम हुआ। हम लोग तो बचपन से आस्था मानकर काम करते थे। कांग्रेस को लगता है कि ऐसा नहीं करेंगे तो चुनाव में नुकसान हो जाएगा। इसलिए अब वह माला भी जपते हैं, हनुमान चालीसा का पाठ भी पढ़ते हैं। राम-राम भी जपते हैं।