‘सांची स्तूप’ की तर्ज पर विदिशा में बना है ‘सतधारा स्तूप’, सम्राट अशोक ने कराया था निर्माण

रवि सिंह/विदिशा: हिंदुस्तान का दिल कहे जाना वाला मध्य प्रदेश बौद्ध तीर्थ स्थल ‘सांची स्तूप’ के लिए भी प्रसिद्ध है. प्रदेश में बौद्ध स्तूपों की बात हो तो सबसे पहले सांची का नाम आता है. कुछ ऐसी ही खासियत विदिशा के सतधारा स्तूप की भी है. इसे राष्ट्रीय महत्व के स्मारक में शामिल तो किया गया, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में कम लोग ही इसकी विशेषता के बारे में जानते हैं.

विश्व प्रसिद्ध सांची स्तूप सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए हैं. विदिशा से महज 20 किमी दूर सतधारा स्तूप है. यह सांची के समकालीन है और इनका निर्माण भी सम्राट अशोक द्वारा ही करवाया गया था. सतधारा स्तूप को 272-238 ईसा पूर्व सम्राट अशोक ने बनवाया था. हलाली नदी के दाएं किनारे पहाड़ी पर स्थित बौद्ध स्मारक सतधारा की खोज ए कन्धिम ने की थी. मौर्य सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए स्तूप का निर्माण कराया था. 1989 में इस स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया.

यूनेस्को के विशेषज्ञ प्रभावित
भोपाल-विदिशा मुख्य मार्ग से 10 किमी की दूरी पर सतधारा स्तूप है. प्रचार-प्रसार के अभाव में इसे अनदेखा किया जा रहा है. वहीं यूनेस्को द्वारा प्रदत राशि से किया गया निर्माण कार्य भी संतोषजनक नहीं है. साल 1999 में हुए इसके जीर्णोद्धार के बाद जनवरी 2005 में यूनेस्को के पुरा-विशेषज्ञों के दल ने इस पर असंतुष्टि जताते हुए इस को तोड़कर दोबारा निर्माण करने के निर्देश दिए थे. एक विचित्र स्थिति यह भी है कि उक्त भूमि पहले वन विभाग के अधीन थी.

सतधारा नाम के पीछे यह कहानी
सतधारा का आशय सात धाराओं से है. ये स्तूप हलाली नदी के किनारे बने हुए हैं और धाराओं के नजदीक होने से स्तूप का नाम सतधारा हो गया है. स्तूप को सांची स्तूप के पास होते हुए भी देखरेख के अभाव में इनमें से ज्यादातर जर्जर हो चुके हैं. सतधारा पर किसी का ध्यान नहीं गया. हालांकि, कुछ स्तूपों का जीर्णोद्धार किया गया, लेकिन इस जगह से बौद्ध अनुयायी और पर्यटक दोनों दूरी बनाए हुए हैं. सबसे खास बात यह है कि यहां बने स्तूप भी 13 मीटर तक ऊंचे हैं, सुरम्य और शांत वातावरण में पहाड़ी पर स्थित सतधारा की ऊंचाई से हलाली नदी की खूबसूरती देखते ही बनती है.

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FIRST PUBLISHED : October 8, 2023, 19:04 IST

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