सरकारी भोजन के कढ़ी-चावल खाने से 20 बच्चे बीमार, शिक्षक सस्पेंड व समूह हुआ ब्लैकलिस्टेड : MP latest News

प्रशासन को 2 दिन बाद मिली जानकारी

प्रशासन को 2 दिन बाद मिली जानकारी

बैरसिया तहसील के भैसोंदा पंचायत के शासकीय स्कूल की इस घटना की भनक प्रशासन को शनिवार को लगी। जबकि ये घटना गुरूवार हुई थी। आनन-फानन में प्रशासन ने भोजन परोसने वाले अनीता स्व सहायता समूह को ब्लैक लिस्टेड और स्कूल के एक शिक्षक हरि सिंह को सस्पेंड कर दिया बताया जा रहा है कि शिक्षक घटना वाले दिन बिना बताए अनुपस्थित था।

जिला पंचायत सीईओ ऋतुराज सिंह ने लिया एक्सन

जिला पंचायत सीईओ ऋतुराज सिंह ने लिया एक्सन

जिला पंचायत सीईओ ऋतुराज सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि उच्चतर माध्यमिक शाला में भैसोंदा में विद्यार्थियों को गुरुवार को कड़ी चावल परोसा गया था। भोजन करने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। जानकारी मिलते ही जांच के लिए टीम बनाई गई। टीम ने बेसन व चावल के सैंपल लिए। जांच टीम को निरीक्षण के दौरान स्कूल के आसपास आवारा कुत्ते घूमते मिले है। टीम ने स्कूल प्रबंधन को उन्हें वहां से हटाने की चेतावनी दी हैं। उधर भैसोन्दा के स्कूल में हुई घटना से जिला प्रशासन ने सबक लेते हुए उड़नदस्ता गठित कर दिया है जिसमें 10 अधिकारियों को शामिल किया गया है जो स्कूलों में परोसे जाने वाले मध्यान भोजन व्यवस्था से जुड़ी जानकारियों के साथ औचक निरीक्षण करेंगे।

बिना चखे विद्यार्थियों को दिया भोजन

बिना चखे विद्यार्थियों को दिया भोजन

जिला शिक्षा अधिकारी दियो नितिन सक्सेना ने बताया कि नियमानुसार शिक्षकों को पहुंच रखने के बाद ही बच्चों को परोसा जाना चाहिए, लेकिन स्कूल में सीधे बच्चों को परोस दिया गया। इतना ही नहीं कुछ बच्चों ने खाना खराब होने की शिकायत की थी, लेकिन उस पर भी ध्यान नहीं दिया गया बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर भी उच्च अधिकारियों को सूचना नहीं दी गई। जबकि इसके लिए जिम्मेदार सहायक अध्यापक हरि सिंह टेलर बिना बताए स्कूल से गायब था लापरवाही के चलते उसे निलंबित किया गया है।

किसे कहते हैं मध्यान भोजन

किसे कहते हैं मध्यान भोजन

मध्यान भोजन भारत सरकार द्वारा चलाई गई योजना का हिस्सा है। जिसके अंतर्गत पूरे देश के प्राथमिक और लघु माध्यमिक स्कूलों के विद्यार्थियों को दोपहर का भोजन फ्री में कराया जाता है। इसकी व्यवस्था राज्य सरकार को करनी होती है। इसका उद्देश्य बच्चों में पोषण स्तर पर सुधार करने का है। दरअसल भारत के कई राज्य ऐसे यहां पर बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं और मध्यप्रदेश कुपोषण में सबसे ऊपर पायदान पर है। इसीलिए भारत सरकार ने यह स्कीम लागू की थी। जिससे सरकारी स्कूलों में छोटे बच्चों को संतुलित आहार मिल सके। लेकिन हर योजना की तरह इस योजना में भ्रष्टाचार व्याप्त है और विद्यार्थियों को सही से भोजन नहीं मिल पाता हैं।

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