सफलता की एक और इबारत की लिखने की तैयारी में ISRO, जानें क्या है मिशन शुक्रयान

ISRO Mission Shukrayaan : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रमा पर तिरंगा फहराने के बाद आज सूर्य की तपिश को नापने के लिए आदित्य एल-1 (Aditya L1) लॉन्च करने जा रहा है। इसके बाद इसरो की नजर शुक्र पर है। भारत जल्द ही शुक्र ग्रह की रहस्यों का पता लगाने के लिए शुक्रयान-1 (Shukrayaan 1) लॉन्च करने की तैयारी में हैं।

खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चंद्रयान 3 की कायमाबी पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि चंद्रयान 3 बाद भारत सूर्य की सीमाओं के रहस्य को जानने के लिए आदित्य एल-1 लॉन्च करेगा और उसके बाद शुक्रयान-1 लॉन्च किया जाएगा।

आपको बता दें कि पृथ्वी का सबसे निकटतम ग्रह शुक्र है। पृथ्वी से शुक्र ग्रह की दूरी करीब 6 करोड़ किलोमीटर है। इसके लिए ISRO ने शुक्रयान मिशन का ऐलान किया है। शुक्रयान शुक्र ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाकर उसका अध्ययन करेगा।

गौरतलब है कि भारत सरकार ने 2017 इसरो के मिशन वीनस (Mission Venus) ) प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी थी। साथ ही तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली सालाना बजट 2017-18 में भी इसका जिक्र किया था। अंतरिक्ष विज्ञान अनुभाग के तहत बजट में मंगलायान-2 और मिशन शुक्र का जिक्र किया था।

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आपको बता दें कि इसरों के वैज्ञानिक मंगलयान और चंद्रयान की सफलता के आधार पर शुक्र की योजनाओं पर विचार कर रहा है। इसरो शुक्र पर पहुंचने के अपने मिशन की तैयारी में है। जानकारी के मुताबिक अगर सबकुछ ठीक रहता है तो इसरो इसे दिसंबर 2024 में लॉन्च कर सकता है।

अगर शुक्रयान-1 को 2024 में किसी कराण लॉन्च नहीं किया गया तो फिर इसे 2026, 2028 या 2031 में लॉन्च किया जा सकता है। दरअसल हर 19 महीने बाद पृथ्वी और शुक्र आपस में सबसे नजदीक होता हैं। अगर भारत का मिशन शुक्रयान कामयाब हो जाता है, तो ऐसा करने वाला इंडिया दुनिया का पहला देश बन जाएगा।

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वैज्ञानिकों के मुताबिक अरबों साल पहले शुक्र ग्रह और पृथ्वी एक जैसे ही थे। लेकिन समय के साथ पृथ्वी पर जहां जीवन पनपा तो वहीं शुक्र विरान हो गया है। ऐसे में वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि अगर जलवायु परिवर्तन का ऐसा ही कुप्रभाव जारी रहा तो क्या शुक्र की तरह पृथ्वी का भी तो हाल नहीं हो जाएगा।

 

 

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