कृष्ण गोपाल द्विवेदी/बस्ती. बस्ती जनपद में एक ऐसा विद्यालय है, जहां आपको आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ 250 प्रजाति की सजीव और दुर्लभ पौधें भी देखने को मिल जाएंगे. जिसको देख आपका मन काफ़ी प्रसन्नमय हो जाएगा. इन पौधों की खासियत यह है की ये पौधें एक तो पूरे परिसर को खुशबूमय किए रहते हैं, दूसरा इनका उपयोग आप औषध के रूप में भी कर सकते हैं.
बता दें कि जब 2005 में विद्यालय का कमान मौजूदा प्रधानाचार्य डॉ शिव प्रसाद ने संभाला. यह विद्यालय परिसर पूरी तरह से बंजर निर्जीव पड़ा हुआ था, जिससे स्कूल में काफी गर्मी भी होती थी. ठीक उसी समय प्रधानाचार्य, शिक्षक और स्कूल में पढ़ रहे छात्रों के अभिभावकों ने मिलकर एक पहल शुरु की. जिसके तहत उस विद्यालय में पढ़ने वाले हर एक छात्र के नाम एक-एक पौधा लगाया गया. इसी का नतीजा है की आज विद्यालय में 250 प्रजाति के औषधीय, फलदार, छायादार और पुष्प दार पौधें आपको देखने को मिल जाएंगे. इन पौधों को दो वाटिकाओ में भी बाटा गया है- बाल वाटिका और पोषण वाटिका.
बाल वाटिका में लगे पौधे
बाल वाटिका में पुष्पीय और सजावटी पौधों में चमेली, चांदनी, डेसिना, छोटी चांदनी, चम्पा, बेला, यूरेका पाम, मनोकामनी, लिली, सुपारी पाम, मिनी गोल्ड मोहर, पेंडुला, पार्सियन सुल्क टी आदि शामिल हैं. वही, बाल वाटिका में दुर्लभ औषधीय पौधे जैसे- कल्पवृक्ष के अलावा कपूर, एलोवेरा, पथरचट्य, सेमर, तुलसी, अश्वगंधा, मेंहदी, अपराजिता, बैलाडोना, लेमनग्रास, हल्दी, गूलर आदि शामिल हैं.
पोषण वाटिका के पौधें
पोषण वाटिका में काजू, सेब, रुद्राक्ष, नारियल, अनार, लीची, अमरूद, आवला, नींबू, हजारा आदि के पौधें शामिल हैं. विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ शिव प्रसाद ने बताया कि जब मैंने इस विद्यालय में 2005 ने ज्वॉइन किया तो मैंने एक मुहिम चलाई, अभिभावकों से कहा कि आप पौधे लगाइए और उनकी देखभाल करिए, आपके बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी हमारी, और उसी का नतीज़ा है की आज यह परिसर पूरी तरह से गुलजार है.
बदल रही सरकारी स्कूलों की सूरत
डीएम बस्ती आंद्रा वामसी ने बताया कि हमारा प्रयास है की जनपद के सभी 2300 विद्यालय को कलायल्क योजना के तहत आधुनिक किया जाए. साथ ही, जो विद्यालय इस तरह के प्रयास कर रहे हैं, उन्हे टीचर्स डे और अन्य अवसरों पर सम्मानित भी किया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : September 27, 2023, 17:38 IST