शादियों का पैकेज: 25 लाख से एक करोड़ तक में तय हो रहे रिश्ते, दहेज का रूप बदला, सरकारी सेवकों की लग रही बोली

विवाह में दहेज का दंश छूटने का नाम नहीं ले रहा है। कानून के बावजूद दहेज का लेनदेन रूप बदल-बदल कर गतिमान है। कहीं माता-पिता के संकल्प के रूप में तो कहीं भव्य शादियों की मांग के रूप में चलन में है। बिजनेस क्लास और सरकारी वर की बोली अभी भी लगती है। हालांकि इस विकृति के बीच कुछ परिवार ऐसे भी हैं जहां सिर्फ लड़की और परिवार देखकर शादियां तय हो रही हैं। यह सुखद संकेत है। दहेज के बदलते रूप-रंग पर हमने बीते साल और इस सहालग में अपने बच्चों की शादियां करने वाले परिवारों से बात की। साथ ही मैरिज काउंसलर व परिवार परामर्श समिति के पास आने वाले मामलों को भी समझा। उससे निकले निष्कर्ष को बयां करती ये रिपोर्ट :

लव कम अरेंज मैरिज…एक-एक कर सामने आती रहीं ख्वाहिशें

यदि आप इस खुशफहमी में हैं कि लव मैरिज में दहेज नहीं चलता तो आप गलत हैं। 14 दिसंबर को फैजाबाद रोड स्थित एक रिसॉर्ट में एक शादी होनी है। लव मैरिज को अरेंज किया गया है। लड़के ने अभी एक छोटा सा बिजनेस शुरू किया है और यूपीएससी की तैयारी कर रहा है। लड़की के पिता का कहना है कि अब कोई दहेज नहीं मांगता। मेरी बेटी के भावी ससुराल की इच्छा थी कि शादी शानदार चाहिए। उनकी मर्जी के मुताबिक, जगह तय हुई, कैटरर तय हुआ, डेकोरेशन तय हुआ। सगाई होने से लेकर शादी की तैयारियों तक में ससुराल वालों से होने वाली मुलाकात में जो खर्च तय हुए, उनकी एक बानगी देखिए : 

लड़की के पिता की जुबानी –

– कुछ नहीं चाहिए, एक गाड़ी बस कर दीजिए।

– जेवर तो आप दे ही रहे होंगे, हमारे यहां घुड़चढ़ी के वक्त लड़कों को सोना देने की परंपरा है।

– तिलक में तो आप कैश रखेंगे ही, क्योंकि समाज को दिखाना होगा।

– हमारे इतने-नाते रिश्तेदार हैं, सभी करीबी हैं, इनके गिफ्ट भी विदाई में दिए जाएंगे। वगैरह… वगैरह…

सरकारी सेवक की बोली, 50 लाख से एक करोड़ तक

मैरिज काउंसलर चारू श्रीवास्तव कहती हैं कि हम जिस वर्ग के लिए काम कर रहे हैं, उनमें लड़का-लड़की दोनों नौकरीपेशा हैं और प्राइवेट जॉब वाले हैं। इनकी शादियां आज भी सामान्य खर्चों पर होती हैं। मांग को लेकर दबाव नहीं होता। पर बिजनेस क्लास और सरकारी नौकरी वालों में आज भी बोली लगती है और कीमत 50 लाख से लेकर एक करोड़ रुपये तक चल रही है। बादशाहनगर निवासी रवि सिंह कहते हैं कि हाल ही में उनके परिचित ने अपनी बेटी के लिए सरकारी वर चुना है। दो प्लॉट बेचकर उनकी मांग पूरी की। सरकारी वर के लिए वे 50 लाख की शादी करने को तैयार हो गए।

ये बातें… नई-पुरानी, यूं ही तो नहीं

– डेढ़ लाख प्रतिमाह के पैकेज पर सरकारी नौकरी करने वाली डॉ. सिन्हा कहती हैं कि मेरी शादी तय होते वक्त कोई मांग नहीं थी। तय होते ही गाड़ी-जेवर-कपड़े समेत अन्य ख्वाहिशों का एक पुलिंदा मेरे ससुरालवालों की ओर से आया था।

– रविन्द्र कहते हैं कि मेरे परिवार की दो लड़कियों की शादियां हुईं। एक में 10 लाख कैश बस, क्योंकि लड़के का वेतन लड़की से दो लाख रुपये सालाना कम था। दूसरी की शादी कैश 20 लाख, क्योंकि लड़के का वेतन दोगुना ज्यादा था। हम लोग ब्राह्मण हैं, शहरी क्षेत्र में हैं। लड़कियां पढ़ी-लिखी हैं, तो मांग कम होती है। फिर भी शादी का पैकेज 25 से 30 लाख हो ही जाता है। गांव की तरफ बढ़ें तो मांग अलग है, चाहे जमीन-घर बेचकर करो।

– माता-पिता के मुताबिक, दहेज नहीं मांगा किसी ने, हमने जो किया खुद से किया। विवाह तो एक बार ही करना है, इसलिए हम सब कुछ देंगे।

– कुछ समुदायों में रिश्ता तय करने पहुंचे लड़की वालों से पूछा जाता है कि आपका अपना संकल्प क्या है। वहीं पिता खुद भी बताते हैं कि हमारा संकल्प बस इतना है। 

– हमें सामान नहीं चाहिए, आपकी बेटी के जेवर के लिए आप क्या देंगे।

– बस तिलक इतने से करें, क्योंकि समाज तो वही देखता है।

शादी समारोह पर खर्च

वेडिंग प्लानर कहते हैं कि शहर में 20 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक की शादियां हो रही हैं। इसमें सिर्फ और सिर्फ आयोजन का खर्च शामिल। 



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